Bharat Express

Lok Sabha Election 2024: क्या मोदी लहर के सामने पंजे के साथ टिक पाएगी साइकिल…? पिछली बार हाथी के साथ नहीं चला था अखिलेश का जादू, जानें क्या कहते हैं समीकरण

बसपा सुप्रीमो मायावती ने अकेले ही चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है. इस तरह से देखा जाए तो मुकाबला सपा-कांग्रेस गठबंधन और एनडीए गठबंधन के बीच माना जा रहा है.

फोटो सोशल मीडिया

Lok Sabha Election 2024: इस बार का लोकसभा चुनाव बड़ा ही दिलचस्प होने जा रहा है. मोदी सरकार के खिलाफ कई विपक्षी दल मिलकर इंडिया गठबंधन के बैनर तले आ गए हैं और लगातार भाजपा को इस बार हराने का दावा कर रहे हैं. तो वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्य राजनीतिक दलों में से एक सपा ने भी नया दांव खेला है और इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस से हाथ मिला लिया है ताकि यूपी में अधिक से अधिक सीटों पर कब्जा किया जा सके. माना जाता है कि केंद्र की सत्ता यूपी से होकर जाती है. यही वजह है कि इंडिया गठबंधन की नजर उत्तर प्रदेश में है तो वहीं राजनीतिक गलियारों में इस बात को लेकर चर्चा है कि पिछली बार यानी 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा ने बसपा के साथ हाथ मिलाया था लेकिन फेल हो गई थी. तो क्या इस बार अखिलेश का नया एक्सपेरिमेंट मोदी लहर के सामने टिक पाएगा? फिलहाल ये तो वक्त बताएगा.

इस बार बसपा सुप्रीमो मायावती ने अकेले ही चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है. इस तरह से देखा जाए तो मुकाबला सपा-कांग्रेस गठबंधन और एनडीए गठबंधन के बीच माना जा रहा है. पश्चिम उत्तर प्रदेश में अब राष्ट्रीय लोक दल एनडीए का हिस्सा है. तो वहीं जाट समाज के बीच भी भाजपा की अच्छी पैठ हो गई है. अगर यूपी के बीते दो लोकसभा चुनाव को देखें तो 2014 में भाजपा गठबंधन ने उत्तर प्रदेश की 80 में 73 सीटें जीतीं और 2019 के चुनाव में अकेले भारतीय जनता पार्टी ने 62 सीटें हासिल की थी और सहयोगी अपना दल में दो सीटो पर जीत दर्ज की थी.

ये भी पढ़ें-Siyasi Kissa: भारत के पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री टहलते हुए चले गए थे लाहौर! पढ़ें प्रधानमंत्री बनने का रोचक किस्सा

पश्चिमी यूपी का ये है समीकरण

बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पश्चिम उत्तर प्रदेश में 23 सीटें जीती थी और सपा-बसपा ने चार-चार सीटें गठबंधन के तहत हासिल की थी. सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा और नगीना (एससी सीट) पर बसपा ने जीत हासिल की थी तो वहीं संभल, मुरादाबाद, मैनपुरी और रामपुर में सपा जीती. मैनपुरी सीट का प्रतिनिधित्व मुलायम सिंह करते थे, जहां वर्तमान में उनकी बहु डिंपल यादव सांसद हैं. इस बार भी पार्टी ने कोई नया एक्सपेरिमेंट करने के बजाए डिंपल को ही यहां से उतारा है.

यूपी सेंट्रल में भी बदला समीकरण

सेंट्रल यूपी में अमेठी और रायबरेली की सीट को महत्वपूर्ण माना जाता है. इन दोनों सीटों पर कांग्रेस का ही राज माना जाता था लेकिन 2019 के चुनाव में भाजपा की स्मृति ईरानी ने अमेठी में जीत हासिल कर कांग्रेस का पत्ता साफ कर दिया था तो वहीं रायबरेली से कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी सांसद हुआ करती थीं लेकिन इस बार वह जयपुर से राज्यसभा के लिए चुनी गई हैं. फिलहाल पार्टी इन दोनों सीटों पर उम्मीदवार को लेकर अभी मंथन कर रही है.

तो वहीं अगर लखनऊ की बात करें तो 2019 के लोकसभा चुनाव में सेंट्रल लखनऊ से राजनाथ सिंह ने जीते. बसपा इस क्षेत्र से सिर्फ एक सीट सकी थी. रितेश पांडे ने जीत दर्ज की थी. वह अंबेडकरनगर लोकसभा सीट से जीते थे और सपा का यहां से पत्ता कट गया था. यूपी की पूर्वी इलाके में 30 सीटें हैं और वाराणसी लोकसभा सीट भी इसी क्षेत्र में पड़ता है, जिसका प्रतिनिधित्व पीएम नरेंद्र मोदी करते आ रहे हैं. बीते चुनाव में बसपा ने इस क्षेत्र से पांच सीटें हासिल की थी और सपा को एक सीट मिली थी. वहीं अपना दल ने दो सीटें हासिल की और बुन्देलखण्ड के इलाके पर भाजपा काबिज हुई. बीते चुनाव में पार्टी ने सभी चार सीटों पर फतह हासिल की थी. झांसी, बांदा, हमीरपुर और  जालौन. इस क्षेत्र में पानी की किल्लत से लोग जूझ रहे थे. पीएम मोदी और राज्य सरकार ने इस क्षेत्र के लिए पेयजल योजना की घोषणा की और लोगों को इससे पीने के लिए शुद्ध जल मिलने लगा. इस योजना ने सीधे भाजपा के वोट बैंक पर असर डाला था.

-भारत एक्सप्रेस

Also Read