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दिल्ली की वो सीट, जिसपर जीत मिली तो सत्ता में आना तय, इस बार किसे मिलेगा जनता का आशीर्वाद? जानें क्या कहते हैं आंकड़े

राजनीतिक गलियारों में इस सीट के लिए कहा जाता है कि जो दल इस सीट से जीतता है, उसकी सरकार बनने की गारंटी होती है. आंकड़े भी यही बताते हैं.

New Delhi Assembly seat

Delhi Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां बढ़ी हुई हैं. सभी 70 सीटों पर 5 फरवरी को वोटिंग होगी, और 8 फरवरी को मतों की गणना. एक ओर जहां आम आदमी पार्टी फिर से सत्ता में आने के लिए जोर लगा रही है, वहीं कांग्रेस और बीजेपी भी पूरी ताकत से इस चुनाव में जीत का परचम लहराने के लिए चुनावी मैदान में हैं. दिल्ली की तमाम ऐसी सीटें हैं, जिनपर आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला देखा जा रहा है. इन्हीं में शुमार नई दिल्ली विधानसभा की सीट भी काफी चर्चा में है.

केजरीवाल के लिए जीतना आसान नहीं

नई दिल्ली सीट पर इस बार काफी दिलचस्प लड़ाई हो गई है. इस सीट पर दो पूर्व सीएम के बेटे अपनी-अपनी जीत के लिए हुंकार भर रहे हैं. बीजेपी ने पूर्व सीएम साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश साहिब सिंह वर्मा को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने पूर्व सीएम शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को उतारा है. वहीं AAP की ओर से दिल्ली के पूर्व सीएम और इस सीट से तीन बार चुनाव जीत चुके अरविंद केजरीवाल मैदान में हैं. नई दिल्ली विधानसभा सीट को दिल्ली की सत्ता की चाबी के तौर पर देखा जाता रहा है. सियासी गलियारों में ऐसी चर्चा रहती है कि इस सीट से जिस पार्टी को जीत मिलती है, उसी की सरकार बनती है. इस सीट के इतिहास पर नजर डालें तो उसमें इसकी साफ तस्वीर भी दिखाई देती है. इस धारणा की शुरुआत 1993 में हुई थी, जब तत्कालीन बीजेपी उम्मीदवार कीर्ति आजाद ने जीत दर्ज की थी, और उसके बाद बीजेपी की सरकार बनी थी.

जिसे मिली जीत, उसी की सरकार

राजनीतिक गलियारों में इस सीट के लिए कहा जाता है कि जो दल इस सीट से जीतता है, उसकी सरकार बनने की गारंटी होती है. आंकड़े भी यही बताते हैं. वर्ष 1993 में भाजपा प्रत्याशी कीर्ति आजाद यहां से जीतते थे तो दिल्ली में भाजपा की सरकार बनी और मदनलाल खुराना मुख्यमंत्री बने थे. हालांकि उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया और बीच में ही इस्तीफा देना पड़ा था, जिसके बाद साहिब सिंह वर्मा ने सीएम पद की शपथ ली, बाद में उन्होंने भी पद से इस्तीफा दे दिया और सुषमा स्वराज को दिल्ली की कमान मिली.

क्या है पुराना इतिहास?

साल 1998, 2003 और 2008 में इस सीट से शीला दीक्षित ने जीत दर्ज की और उनके नेतृत्व में तीनों बार दिल्ली में कांग्रेस की सरकार बनी. भ्रष्टाचार के खिलाफ 2010 और 2011 में शुरू हुए अन्ना हजारे के आंदोलन से जन्मी आम आदमी पार्टी 2013 के चुनाव में मैदान में उतरी और नई दिल्ली सीट से शीला दीक्षित के खिलाफ अरविंद केजरीवाल ने चाव लड़ने का ऐलान किया. उन्हें इस चुनाव में जीत मिली और AAP को कुल 28 सीटों पर जीत मिली, जिसके बाद अरविंद केजरीवाल दिल्ली के सीएम बने. हालांकि कांग्रेस के समर्थन से बनी आप सरकार ज्यादा दिन नहीं चल पाई और महज 49 दिनों में गिर गई.

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तीन बार जीते केजरीवाल

2015 में जब विधानसभा चुनाव हुए, तो नई दिल्ली सीट से दोबारा अरविंद केजरीवाल चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे और सीएम बने. इसके बाद 2020 में भी आम आदमी पार्टी की सरकार बनी और अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

-भारत एक्सप्रेस



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