केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर का कहना है कि सरकार इस बिल के जरिए पाइरेसी को रोकने का काम करेगी. उन्होंने संसद में कहा कि पाइरेसी एक कैंसर के समान है, हम इसे जड़ से मिटाने की कोशिश कर रहे हैं.
Movie piracy laws in India: फिल्मों की पाइरेसी रोकने के लिए मोदी सरकार ‘सिनेमैटोग्राफ अमेंडमेंट बिल-2023’ लेकर आई है. यह बिल राज्यसभा के बाद अब लोकसभा में भी पास हो गया है. यह बिल ‘सिनेमैटोग्राफ एक्ट 1952’ में संशोधन की मांग करता है. विपक्षी दलों के हंगामे के बीच लोकसभा में इस बिल को वॉयस वोट के जरिए पास कर दिया गया.
सिनेमैटोग्राफ संशोधन बिल पर बोलते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि हमारी सरकार इस बिल के जरिए पाइरेसी को रोकने का काम करेगी. अनुराग ठाकुर ने कहा कि ‘पाइरेसी एक कैंसर के समान है, हम इसे जड़ से खत्म करेंगे’. बताया जा रहा है कि अब फिल्म पाइरेसी करते पकड़े जाने पर 3 साल तक की जेल और फिल्म की लागत का 5% जुर्माना लगेगा.
100 करोड़ की फिल्म की पाइरेसी पर 5 करोड़ जुर्माना लगेगा
मोदी सरकार के सिनेमैटोग्राफ संशोधन बिल को ऐसे समझा जा सकता है कि अगर किसी फिल्म की लागत 100 करोड़ रुपए है तो उस फिल्म की पाइरेसी करते पाए जाने पर 5 करोड़ रुपए जुर्माना लगाया जाएगा. यह बिल केंद्र सरकार को पावर देता है कि वो सेंसर बोर्ड द्वारा सर्टिफाइड फिल्मों को एग्जामिन कर सकती है. साथ ही जो फिल्में सेंसर बोर्ड के पास होल्ड हैं, उन्हें लेकर भी ऑर्डर जारी कर सकती है. इस बिल की मांग फिल्म मेकिंग से जुड़े लोग कई सालों से कर रहे थे.
यह भी पढ़ें: Big Boss के शो में Elvish Yadav ने बहाए आंसू, कभी दबंग खान को किया था रोस्ट, अब जमकर हो रहे ट्रोल
पाइरेसी से निर्माताओं को हर साल हजारों करोड़ का नुकसान
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले साल यानी कि 2022 में पायरेसी से 24 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. एक तथ्य यह है कि भारत में जो भी फिल्में रिलीज होती हैं, वो कुछ ही दिनों में या कुछ ही घंटों में बहुत-सी वेबसाइटों या टेलिग्राम ग्रुप्स में आ जाती हैं. ऐसे में हजारों लोग फिल्मों को सिनेमाघरों में या ओटीटी प्लेटफॉर्म पर न देखकर मुफ्त में ही देख लेते हैं. यूं तो टेलीग्राम एक मैसेजिंग ऐप है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल पाइरेटेड फिल्में देखने और सर्कुलेट करने के लिए किया जा रहा है. इनका सर्कुलेशन रोकना बहुत बड़ा टॉस्क है. माना जा रहा है कि संशोधित ‘सिनेमैटोग्राफ एक्ट 1952’ फिल्म मेकर्स को इस समस्या से छुटकारा दिलाएगा.
— भारत एक्सप्रेस
इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.