फिल्म अभिनेता रजा मुराद और यशपाल शर्मा.
‘कामयाबी का कोई शॉर्टकट नहीं होता है’, बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता यशपाल शर्मा का यह जीवन मंत्र उनकी तीन दशक की अभिनय यात्रा में झलकता है. हरियाणा के हिसार से निकलकर उन्होंने लगान के ‘लाखा’ से लेकर विभिन्न भूमिकाओं के जरिए हिंदी सिनेमा में अपनी एक अनोखी पहचान बनाई है. हिंदी फिल्मों के साथ-साथ थिएटर में भी यशपाल का नाम एक भरोसेमंद अभिनेता के रूप में स्थापित हुआ है.
1998 में फिल्मी करियर की शुरुआत
यशपाल शर्मा ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत साल 1998 में आई फ़िल्म ‘हज़ार चौरासी की मां’ से की थी, लेकिन असली पहचान उन्हें आमिर खान की फ़िल्म ‘लगान’ से मिली, जहां लाखा के रूप में उनकी नकारात्मक भूमिका ने दर्शकों को चौंका दिया. इस सफलता के बाद उन्होंने ‘गंगाजल’, ‘अब तक छप्पन’, ‘अपहरण’, ‘हजारों ख्वाहिशें ऐसी’, ‘आरक्षण’ और ‘राउडी राठौड़’ जैसी फिल्मों में भी अपनी छाप छोड़ी. हाल ही में उनकी हरियाणवी फिल्म “दादा लक्ष्मी” को सिने ड्रीम फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मिला, जो उनके समर्पण और प्रतिभा का प्रमाण है.
रविवार को गाजियाबाद के वैशाली में मीडिया के सामने यशपाल ने अपने सफर को साझा किया. उन्होंने कहा, “लगान के लाखा से आज यहां तक का सफर कड़ी मेहनत, लगन और भरोसे से तय किया है. हरियाणा से जब निकला था, तब सोचा नहीं था कि कामयाबी इस तरह कदम चूमेगी.”
यशपाल शर्मा का एक और अनोखा पहलू उनकी थिएटर कला है, जहां उन्होंने मंच पर अपने अभिनय का लोहा मनवाया है. उनकी हरियाणवी फिल्म “पगड़ी: द ऑनर” को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में सराहा गया था, और उनकी कला को कई मंचों पर पहचान मिली है. उनका थिएटर और सिनेमा का मिश्रित अनुभव उनके अभिनय में गहराई और वास्तविकता को बखूबी उकेरता है.
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इससे पहले बीती शाम यशपाल ने गाजियाबाद में कवि सम्मेलन में हिस्सा लिया, जो कवि कुंवर बेचैन की स्मृति में आयोजित था. इस कार्यक्रम में उन्होंने न केवल कविता पाठ किया बल्कि अपने अभिनय से भी दर्शकों को मोहित किया. उनके साथ रजा मुराद भी थे, जिन्होंने साहिर लुधियानवी और कुंवर बेचैन की कविताओं का पाठ कर महफिल में चार चांद लगा दिए. उनकी गहरी आवाज में कविताओं का पाठ सुनकर श्रोता मंत्रमुग्ध रह गए.
लगभग 30 वर्षों से बॉलीवुड में अपने अभिनय का जलवा बिखेरते हुए यशपाल शर्मा का सफर हरियाणवी तेवर और समर्पण का संगम है. उनकी यह यात्रा नई पीढ़ी के कलाकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत है और आने वाले समय में वह और भी ऊंचाइयों को छूने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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