Table top runway
नेपाल में हाल ही में हुई दुखद विमान दुर्घटना ने एक बार फिर टेबल-टॉप रनवे से जुड़े महत्वपूर्ण जोखिमों को सामने ला दिया है. टेबल-टॉप रनवे ऊंचे पठारों या पहाड़ियों पर बनाए जाते हैं, जहाँ रनवे के एक या एक से ज़्यादा तरफ़ से ढलान बहुत ज़्यादा होती है और इससे पायलट के लिए गलती की गुंजाइश बहुत कम रह जाती है. यदि कोई विमान समय पर रुकने में विफल रहता है या रनवे से आगे निकल जाता है, तो वह नीचे गिर जाएगा.
भारत में भी पांच ऐसे हवाई अड्डे हैं जहां पर टेबल-टॉप रनवे हैं, इनमें से कुछ पर अतीत में बड़ी दुर्घटनाएं हो चुकी हैं.
मंगलुरु एयरपोर्ट, कर्नाटक
22 मई 2010 को दुबई से मंगलुरु जा रहा एयर इंडिया एक्सप्रेस का विमान 812 लैंडिंग के समय दुर्घटनाग्रस्त हो गया और इसमें चालक दल के छह सदस्यों सहित 158 यात्री मारे गए.
कालीकट अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट, केरल
कोविड महामारी के कारण फंसे भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिए दुबई से कोझिकोड जा रही एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट टेबल-टॉप रनवे से फिसल गया और नीचे दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसमे उन्नीस यात्रियों और दोनों पायलटों की मौत हो गई.
शिमला एयरपोर्ट, हिमाचल प्रदेश
इस एयरपोर्ट का रनवे सिर्फ 1230 मीटर लंबा है. एविएशन विशेषज्ञों के अनुसार, रनवे की लंबाई आवश्यक लंबाई से 300 मीटर कम है. इसके अलावा, मौसम की स्थिति और भू-भाग की सतह एयरपोर्ट पर जोखिम को दोगुना कर देती है.
पकयोंग एयरपोर्ट, सिक्किम
4646 फीट की ऊंचाई पर स्थित पाकयोंग हवाई अड्डा भारत के पांच सबसे ऊंचे हवाई अड्डों में से एक है. इस हवाई अड्डे पर खराब मौसम की वजह से अक्सर वाणिज्यिक उड़ानें कम दृश्यता के कारण बाधित होती हैं.
लेंगपुई एयरपोर्ट, मिजोरम
लेंगपुई हवाई अड्डा मिज़ोरम की राजधानी आइज़ोल में स्थित एक घरेलू हवाई अड्डा है. यह हवाई अड्डा भारत के उन हवाई अड्डों में से एक है, जिसमें टेबल टॉप रनवे है, जो एक ऑप्टिकल भ्रम पैदा करता है, जिसके लिए पायलट को बहुत सटीक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है.
-भारत एक्सप्रेस