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नामीबिया से भारत पहुंचे 8 चीते, कुनो नेशनल पार्क में फोटोग्राफी करते दिखे प्रधानमंत्री मोदी

नामीबिया से भारत लाए गये 8 चीते,कुनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया. सौजन्य-दूरदर्शन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज जन्मदिन है.उनके जन्मदिन को बेहद खास बनाने के लिए नाबीबिया ने चीते आ चुके हैं. 11 घंटे का लम्बा सफर तय करने के बाद ये चीते भारत आ गए है. इन सभी चीतों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में छोड़ा साथ ही खुद फोटो खींचने लगे. इस खास अवसर पर उनके साथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राज्यपाल मंगूभाई पटेल भी मौजूद थे. आपको बता दें कि यह सभी चीते नामीबिया की राजधानी होसिया और दक्षिण अफ्रीका के जंगाल से भारत लाए गए हैं.

क्या कहा पीएम मोदी ने ?

इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि कुनो पार्क में छोड़े गए चीतों को देखने के लिए देशवासियों को कुछ महीने इंतजार करना पड़ेगा. साथ ही पीएम ने कहा कि ये चीते यहां के वातावरण में खुद को ढाल सकें,इसके लिए उन्हें वक्त चाहिए ताकि ये अपना घर बना सकें. उन्होंने कहा अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइन्स पर चलते हुए भारत इन चीतों को बसाने की पूरी कोशिश में लगा हुआ है और हमें अपने प्रयासों किसी भी हालत में नाकाम नहीं होने देना है. उन्होंने कहा कि जब कुदरत और पर्यावरण का संरक्षण होता है तो हमारा भविष्य भी सुरक्षित होता है. विकास और समृद्धि के रास्ते भी खुल जाते हैं.

 

11 घंटे का सफर तय किया चीतों ने

चीतों ने कल नामीबिया की राजधानी होसिया से उड़ान भरी थी. इस दौरान 8 चीते भारत लाए गए है, इसमें पांच मादा और तीन नर चीते शामिल है. आपको बता दें कि नामीबिया से भारत लाए गए चीतों के विमान में 114 सेमी X 118 सेमी X 84 सेमी के पिंजरे बनाए गए थे. आठ हजार किलोमीटर की यात्रा के बाद चीतों का विमान शनिवार की सुबह ग्वालियर पहुंचा. इन चीतों को विशेष चिनूक हेलीकॉप्टर से मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में लाया गया.

लंबा इंतजार हुआ खत्म

1970 में भारत सरकार ने एशियन चीतों को लाने के लिए काफी प्रयास किया था. जिसमें भारत सरकार नें ईरान सरकार से बातचीत भी की थी. लेकिन किसी वजह से चीतों को भारत नहीं लाया जा सका था. 1948 में तीन चीतों को अंतिम बार देखा गया था. उन चीतों का शिकार राजा रामानुज प्रताप सिंह ने किया था. जिसके बाद 1952 में भारत में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया गया था. चीतों के विलुप्त होने के बाद 2009 में चीतों की मांग उठाई गई थी. जिसके बाद अब यह इंतजार खत्म हो चुका है.

रफ्तार का सौदागर है चीता

चीता एक ऐसा वन्य  जीव है जो सबसे तेज भागता है.वह हवा में उछलकर भी अपने शिकार को पकड़ सकता है.वह पेड़ पर भी आसानी से चढ़ जाता है.ये 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ लगाता है. फीट यानी सात मीटर के करीब लंबी छलांग लगा सकता है. चीता दौड़ते समय आधे वक्त हवा में रहता है. इन चीतों की खास बात यह है कि ये चीते अपनी फुल स्पीड से 450 मीटर दूर तक दौड़ सकते हैं.

 

कुल 50 चीते और आएंगे

बता दें 12 साल पहले भारत सरकार ने अफ्रीका से चीतों को भारत भेजने की मांग की थी जो अब जाकर पूरी अब 2022 में नमीबिया में इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है और भारत में 8 चीते भेजे हैं. अगले 5 सालों में  नमीबिया कुल 50 चीतों को भारत भेजेगा.

-भारत एक्सप्रेस

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