(फोटो-एएनआई)
स्थानीय समुदायों के बीच आपसी सम्मान के प्रतीक के रूप में खड़ा, जम्मू और कश्मीर के कुपवाड़ा जिले का एक छोटा सा गाँव त्रेहगाम सदियों से एक वसीयतनामा रहा है. कश्मीर की पुरानी समधर्मी संस्कृति, जहां एक भव्य मस्जिद और एक हिंदू मंदिर एक प्रांगण साझा करते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, इलाके में सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए मस्जिद और मंदिर दशकों से साथ-साथ खड़े हैं.
साझा सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक
ग्रैंड मजीद (जामिया मस्जिद) त्रेहगाम के इमाम पीर अब्दुल रशीद के अनुसार, मस्जिद और मंदिर केवल पूजा स्थल नहीं हैं, बल्कि उनकी साझा सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक भी हैं. रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि “त्रेहगाम के लोग हमेशा सांप्रदायिक सद्भाव के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग रहे हैं. उन्होंने शांति और सद्भाव में एक साथ रहना जारी रखा है, देश के बाकी हिस्सों के लिए एक उदाहरण स्थापित किया है.”
स्थानीय निवासी बिलाल अहमद नज्जर ने कहा, “त्रेहगाम गांव में एक भव्य मस्जिद और एक हिंदू मंदिर का सह-अस्तित्व सांप्रदायिक सद्भाव का एक चमकदार उदाहरण है. ऐसे उदाहरणों को पहचानना और जश्न मनाना और उनमें से अधिक को बढ़ावा देने की दिशा में प्रयास करना महत्वपूर्ण है. ऐसे प्रयासों से ही हम एक अधिक समावेशी और शांतिपूर्ण समाज का निर्माण कर सकते हैं.”
समुदायों के बीच आपसी सम्मान
रिपोर्ट में कहा गया है कि मस्जिद और मंदिर ने स्थानीय समुदायों के बीच आपसी सम्मान और सहिष्णुता को बढ़ावा देते हुए पीढ़ियों से एक साझा यार्ड साझा किया है. शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के ऐसे उदाहरण विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच एकता और समझ को बढ़ावा देने में बहुत मदद करते हैं.
कस्बे के बुजुर्गों ने कहा कि इलाके में सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए दोनों पूजा स्थलों को एक साथ बनाने का निर्णय लिया गया था. समुदाय बाकी दुनिया को शांति और सहिष्णुता का संदेश देना चाहता था.
– भारत एक्सप्रेस
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