भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के चेयरमैन, एमडी और एडिटर-इन-चीफ उपेन्द्र राय
World Liver Day: राजधानी दिल्ली के एपीजे अब्दुल कलाम ऑडिटोरियम, लिवर और पित्त विज्ञान संस्थान में वर्ल्ड लिवर डे के मौके पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के चेयरमैन, एमडी और एडिटर-इन-चीफ उपेन्द्र राय ‘गेस्ट ऑफ हॉनर’ और प्रमुख वक्ता के तौर पर मौजूद रहे. यह कार्यक्रम शराब से संबंधित होने वाली लिवर की बीमारियों के खिलाफ जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से इंडिया लिवर हेल्थ समिट का आयोजन किया गया था.
इस अवसर पर भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के चेयरमैन, एमडी और एडिटर-इन-चीफ उपेन्द्र राय ने कहा कि “आज वर्ल्ड लिवर डे पर कहना चाहूंगा कि जब इंस्टिट्यूट ऑफ लीवर एंड बिलिअरी साइंसेस (ILBS) शुरू हुआ था. उस वक्त मेरी मां की तबीयत बहुत खराब थी. बहुत सारे डॉक्टरों को मैं दिखा रहा था, लेकिन पता नहीं चल रहा था कि आखिर बीमारी क्या है. तो उस वक्त मेरी बात कई लोगों से चल रही थी, उस बीच में ही भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी मेरे बड़े भाई की तरह हैं. उन्होंने कहा कि तुम ये नंबर लो और मैं फोन करता हूं डॉक्टर शिव सरीन से बात करो. डॉक्टर साहब उस वक्त विदेश में थे, किसी कॉन्फ्रेंस में गए हुए थे. लेकिन मेरी बात हुई और मैं अपनी मदर को ले आया यहां इमरजेंसी में एडमिट कराया. मेरी मदर यहां से ठीक होकर गईं. आईएलबीएस (ILBS) को खुले साल भर भी नहीं हुआ था. उस समय से मैं ILBS परिवार का हिस्सा हूं. और सिर्फ इसलिए हूं कि इस संस्थान के साथ डॉक्टर एस के सरीन जैसी महान पर्सनालिटी जुड़ी हुई है.”
वरिष्ठ पत्रकार उपेंद्र राय ने कहा कि “कल जब मैं अपने ऑफिस में था तो बोला कि मुझे जाना है तो दो लाइन बोलना भी होगा, क्योंकि ये मेरा विषय नहीं है. मेरे रिसर्च हेड ने मुझे कुछ छोटे से एक पैरा में डिटेल दी. उसको पढ़ने के बाद मैं भी बहुत चिंतित हुआ कि भारत में करीब 14 करोड़ लोग शराब पीते हैं. पांच अरब लीटर शराब की खपत है हमारे हिंदुस्तान में, और अनुमान है कि अगले साल यानी 2024 के समाप्त होते-होते ये जो मात्रा है वो 6.2 अरब लीटर हो जाएगी. उन्होंने कहा कि जो डॉक्टर साहब कह रहे थे कि यूरोप आगे है और मार्जिनली हम लोग थोड़े से कम हैं. लगता है कि यूरोप का जो लिकर कंजम्पशन है उसको हम लोग क्रॉस कर जाएंगे.”
भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के चेयरमैन, एमडी और एडिटर-इन-चीफ उपेन्द्र राय ने शराब को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि “चूंकि मैं गांव से आता हूं, मेरा बचपन गांव में बीता है, मैंने देखा है कि जब हमलोग छोटे थे तो चिन्हिंत था कि ये फलाने जा रहे हैं, गली से गुजर रहे हैं ये शराब पीते हैं. लेकिन अब मैं उसी गंवा में जाता हूं तो कोई ऐसा घर नहीं जहां लड़का शराब नहीं पीता और जिस घर में शराब न जाती हो. आप लोगों को जानकर आश्चर्य होगा कि गांव में जो शराब पीने का प्रतिशत शहरों से ज्यादा है. शहरी आबादी 17 फीसदी शराब पीती है. तो गांव की आबादी 20 फीसदी क्रॉस कर चुकी है. उन्होंने आगे कहा कि जो मैं कह रहा था कि लोग चिन्हिंत थे. समाज में कौन सभ्य है, कौन असभ्य है, कौन गुंडा है, कौन नशा करता है. ये उंगलियों पर गिने हुए लोग थे. बच्चे भी उनको पहचानते थे, लेकिन समय ऐसा बदला है कि अब वो लोग अधिकता में हो गए हैं और ऐसे लोग गांवों में माइनॉरिटी में हो गए है.”
वरिष्ठ पत्रकार उपेंद्र राय ने कहा कि “पहले जब हम गांव में बारात में जाते थे तो शराब जैसी कोई चीज नहीं हुआ करती थी. अब गांव की बारातों में शराब एक अनिवार्य हिस्सा बन गया है. और मांग बन गई है. अगर कोई गरीब आदमी है उसके घर में शादी है और वो शराब पिलाने में सक्षम नहीं हो तो उसकी शादी फ्लॉप हो जाती है. बच्चे यहां बैठे हैं इसलिए मैं उन लोगों को बता रहा हूं कि इसमें से बहुत से बच्चे गांव में पले-बढ़े नहीं है. शहरों में पल-बढ़ रहे हैं. गांव में किशोरावस्था जैसी चीज होती ही नहीं थी. बच्चा पैदा होता था, सात-आठ साल में बाप के साथ खेत जाना शुरु कर देता था. 40-50 साल पहले गांव में बाल विवाह भी था, जल्दी शादी हो जाती थी, लेकिन शहर में पलने-बढ़ने वाले बच्चों के सामने ये जो किशोरावस्था की आयु निकल कर सामने आई है यह एक वरदान है. जो 14 साल से लेकर 25 साल के बीच आपको पढ़ाई-लिखाई के साथ ये वक्त मिलता है कि बेहद क्रिएटिविटी के साथ अपने कैरियर को अच्छे से निखार सकें और अच्छे से बना सकें.”
भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के चेयरमैन, एमडी और एडिटर-इन-चीफ उपेन्द्र राय ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि “दुनियाभर के मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि लोग सिर्फ एक कारण से शराब पीते हैं, दूसरा कोई कारण नहीं है. शराब थोड़े वक्त के लिए एक दूसरा आदमी बना देती है. और वो दूसरा आदमी कौन होता है. वो दूसरा आदमी वो होता है जब हम अपनी जिंदगी में हताशा से, निराशा से जो काम कर नहीं पाते, जो बातें कह नहीं पाते, जो भाव चेतन अवस्था में जी नहीं पाते…शराब पीने के बाद थोड़ा जी लेते हैं. और वो जीने की आदत, चाह जब आपके मन को पकड़ लेती है तो आपका मन हावी हो जाता है. आप छूटते जाते हैं. उन्होंने आगे कहा कि “परमआत्मा और आत्मा के बीच एक ही दीवार है वो है मन, और कबीर ने तो कहा है कि मन टेढ़े-टेढ़े क्यों चले. मन पर बहुत लोगों ने कहा है, लेकिन ये मन ही है जो हमें शराब छोड़ने नहीं देता है.”
वरिष्ठ पत्रकार उपेंद्र राय ने कहा कि “अगर कोई शराब छोड़ना चाहता है और शराब छोड़ने की जिद करेगा तो कभी नहीं छोड़ पाएगा. अब छोड़ कैसे पाएगा, सिर्फ एक कारण से, कि शराब आपके जीवन में एक पड़ाव है तो उससे बड़ा पड़ाव बनाइए और वो बड़ा पड़ाव क्या हो सकता है. आप निकल जाइए 10 किलोमीटर के लिए…अगर शराब से लड़ना है तो बड़े काम कीजिए. सुबह बैठ जाइए ध्यान पर एक घंटे-दो घंटे के लिए, सुबह सुनने लगिए उस ज्ञानी व्यक्ति को जिसको सुनने से आपके मन में तार झनकते हैं, आपके पैर थिरकते हैं और आपके मन आंदोलित होते हैं. अगर आप सिगरेट पीते हैं तो कभी नहीं छोड़ पाएंगे, अगर छोड़ने बारे में बार-बार बात कर रहे हैं. छोड़ना उस दिन शुरू होगा जिस दिन आप सिगरेट से बड़ा काम शुरू कर दें, शराब उस दिन छूटेगा जिस दिन शराब से बड़ा काम शुरू कर देंगे.”
वहीं इस कार्यक्रम में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी मुख्य अतिथि थे. साथ ही एमिटी एजुटकेशन ग्रुप के चेयरमैन डॉ. अशोक चौहान भी मौजूद रहें.
गौरतलब है कि 19 अप्रैल को दुनिया भर में विश्व लिवर दिवस के रूप में मनाया जाता है.
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