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Ramcharitmanas: रामचरितमानस में सब बकवास, तुलसीदास ने अपनी ख़ुशी के लिए लिखा, इस पुस्तक पर लगे बैन- स्वामी प्रसाद मौर्य का विवादित बयान

Swami Prasad maurya: देश में इस समय  बाबा बागेश्वर धीरेंद्र शास्त्री की काफी ज्यादा चर्चा हो रही है. इसके साथ ही कुछ लोग इसे आस्था बता रहे हैं तो कुछ लोग इसको अंधविश्वास बता रहे हैं. इसी बीच समाजवादी पार्टी के नेता और यूपी के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस पर टिप्पणी की. वहीं उन्होंने रामचरित मानस को लेकर भी विवादित बयान दिया है. उन्होंने अपने बयान में कहा कि तुलसीदास रचित रामचरित मानस को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, “जिस दकियानूसी साहित्य में पिछड़ों और दलितों को गाली दी गई हो उसे प्रतिबंधित होना चाहिए.” इसके साथ ही उन्होंने बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री को लेकर कहा कि ‘यह बाबा भांग खाकर समाज का बेड़ा गर्क कर रहा है.”

सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य  ने आगे कहा कि धर्म कोई भी हो, हम उसका सम्मान करते हैं. लेकिन धर्म के नाम पर जाति विशेष, वर्ग विशेष को अपमानित करने का काम किया गया है, हम उस पर आपत्ति दर्ज कराते हैं.

‘सरकार खुलेआम अंधविश्वास को बढ़ावा दे रही हैं’

सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने दरबार को लेकर चर्चा में आए बाबा बागेश्वर धीरेंद्र शास्त्री पर भी खुलकर टिप्पणी की. स्वामी प्रसाद ने एक चैनल से बात करते हुए कहा कि,”अगर सारा उपचार बाबा के पास है तो सारे मेडिकल कॉलेज बंद कर देना चाहिए. सरकार बाबा बागेश्वर की हां में हां मिलाकर अंधविश्वास को बढ़ावा दे रही है. बाबा भांग खाकर समाज का बेड़ा गर्क कर रहा है. उन्होंने कहा कि यह बाबा ढकोसला कर अंधविश्वास पैदा कर रहे हैं”.

स्वामी प्रसाद मौर्य ने आगे कहा कि इस देश का दुर्भाग्य है कि धर्म के ठेकेदार ही धर्म को नीलाम कर रहे हैं. तमाम समाज सुधारकों के प्रयास से देश आज तरक्की के रास्ते पर चल पड़ा है लेकिन ऐसे बाबा देश में अंधविश्वास को पैदा कर रहे हैं.

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‘करोड़ों लोग रामचरित मानस को नहीं पढ़ते’

समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने तुलसीदास रचित रामचरित मानस को लेकर कई विवादित बातें कहीं. उन्होंने कहा, “कई करोड़ लोग ऐसे हैं जो रामचरित मानस को नहीं पढ़ते हैं. सब बकवास है, जिसे तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है. सरकार को संज्ञान में लेते हुए रामचरित मानस से उसके आपत्तिजनक अंश को बाहर कर देना चाहिए या फिर इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए”.

– भारत एक्सप्रेस

Rahul Singh

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