प्रतीकात्मक तस्वीर
भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) को स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित युद्ध सामग्री की खेप मिल गई है. लॉइटरिंग म्यूनिशन ALS-50 एयरफोर्स की ताकत में काफी इजाफा करेगी. इसका सभी तरह के इलाकों और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में संचालन किया जा सकता है. यह सिस्टम 50 किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थित अपने लक्ष्य को ढेर कर सकता है.
टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) द्वारा विकसित, स्वायत्त प्रणाली को वर्टिकल टेक ऑफ और लैंडिंग (VTOL) के लिए डिज़ाइन किया गया है. ALS-50 एक खास युद्ध सामग्री है. इसे आप आत्मघाती ड्रोन की संज्ञा दे सकते हैं. टाटा की युवा इंजीनियरों की टीम ने इसे खास तौर पर विकसित किया है. यह मारक क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ दूर स्थित लक्ष्य को भेदने की कुव्वत रखता है. पिछले साल इस प्रणाली को खास तौर पर ठंडे इलाके लद्दाख और गर्म इलाके राजस्थान में सफल रूप से टेस्ट भी किया गया.
ALS-50 की खूबियां
लंबी दूरी वाली उड़ान भर सकता है और उड़ान के दौरान ही फिक्स्ड विंग मोड में तब्दील हो सकता है. 50 किमी की दूरी तक मिशन लॉन्च करने में सक्षम है. इसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में भी संचालित किया जा सकता है और यह बिना किसी और को नुकसान पहुंचाए सिर्फ अपने लक्ष्य को निशाना बना सकता है. यह संकीर्ण घाटियों, पर्वत की चोटियों, घंने जंगलों, युद्धपोतों से भयंकर मार कर सकता है.