₹52,499 में मिल रहा iPhone 13, यह अब तक की सबसे कम कीमत, खरीदें
MP Election 2023: मध्यप्रदेश चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी भी हाथ आजमाने की कोशिश कर रही है. पार्टी ने 21 अक्टूबर को अपने प्रत्याशियों की सूची की थी. इसमें पार्टी ने पूर्व विधायक रामपाल सिंह को ब्यौहारी विधानसभा क्षेत्र अपना उम्मीदवार बनाया था. लेकिन 6 दिन बाद ही उन्होंने पारा बदल लिया और फिर कांग्रेस में वापसी कर ली. इस तरह उन्होंने आप को एक बड़ा झटका दे दिया.
जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस में टिकट न मिलने के चलते उन्होंने आम आदमी पार्टी जॉइन की थी, यहां आप ने उन्हें ब्यौहरी सीट से प्रत्याशी भी बनाया, लेकिन पूर्व विधायक रामपाल आप में सप्ताह भर भी नहीं रूके और फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए.
बता दें कांग्रेस पार्टी ने अपनी प्रत्याशियों की सूची में ब्यौहारी विधानसभा पर रामपाल सिंह का नाम नहीं डाला था. कांग्रेस ने उन्हें साल 2013 में चुनाव लड़ाया था और वह विधायक बने थे. इस बार भी मजबूत दावेदार थे, लेकिन उनको टिकट नहीं मिला. पार्टी उनकी जगह युवा चेहरे रामलखन सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया. इस बात से नाराज होकर उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और आम आदमी पार्टी को जॉइन कर लिया, लेकिन यहां उनका मन नहीं पार्टी छोड़ दी. जबकि आप ने उन्हें प्रत्याशी भी घोषित किया था. 6 दिन फिर से कांग्रेस में वापसी करते हुए रामपाल ने कहा कि भटक गए थे और अपने घर वापस आ गए हैं.
मध्यप्रदेश में चुनाव जीतना दावा जोर-शोर से कर रही है. हालांकि पार्टी के भीतर टिकट बंटवारे को लेकर घमासान मचा हुआ है. वैसे तो पार्टी ने 230 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है. लेकिन संभव है कि पार्टी अभी भी कुछ प्रत्याशियों को बदल सकती है. उम्मीदवारों के लिए नामांकन पर्चा भरने की आखिरी तारीख 30 अक्टूबर है. जबकि फॉर्म वापसी 2 नवंबर तक होनी हैं. प्रदेश में मतदान 17 नवंबर को होगा और चुनाव के नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे.
हेमंत सोरेन ने कहा कि अगले 5 वर्ष में हर घर को मजबूत करने का…
IND vs BAN, 1st Test: भारत और बांग्लादेश के बीच टेस्ट सीरीज का आगाज हो…
अर्नस्ट एंड यंग (EY) में काम करने वाली CA अन्ना सेबास्टियन की हाल ही में…
एक रिपोर्ट में बताया गया है कि टीसीआईपीपी, टीडीसीआईपीपी और टीसीईपी जैसे केमिकल के संपर्क…
Amitabh Bachchan Wedding: अमिताभ बच्चन और जया बच्चन की शादी 1973 में हुई थी. लेकिन…
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश के बावजूद देश के अलग-अलग हाईकोर्ट में जजों और चीफ…