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भारत में लेसोथो की उच्चायुक्त और AAFT के अध्यक्ष द्वारा भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन उपेन्द्र राय को किया गया सम्मानित

मारवाह स्टूडियो में भारत एक्सप्रेस के सीएमडी और एडिटर इन चीफ उपेन्द्र राय ने अपने साक्षात्कार में कई प्रेरक बातें कहीं. अपने भाग्य को कोसने वालों के लिए उन्होंने कहा कि भाग्य और तकदीर हम ही लिखते हैं.

भारत में लेसोथो की उच्चायुक्त महामहिम लेबोहांग वैलेंटाइन मोचाबा और एएएफटी के अध्यक्ष संदीप मारवाह द्वारा सम्मानित होते सीएमडी उपेन्द्र राय

आज फिल्म सिटी नोएडा में स्थित मारवाह स्टूडियो में एएएफटी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भारत एक्सप्रेस के सीएमडी और एडिटर इन चीफ उपेन्द्र राय शामिल हुए, जहां उन्हें लेसोथो की उच्चायुक्त महामहिम लेबोहांग वैलेंटाइन मोचाबा और एएएफटी (एशियन एकेडमी ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन) के अध्यक्ष संदीप मारवाह द्वारा सम्मानित किया गया. मारवाह स्टूडियो में अपने साक्षात्कार में उपेन्द्र राय ने कई सावालों के जवाब भी दिए. इस दौरान उपेन्द्र राय ने AAFT के छात्रों के साथ संवाद भी किया. वहीं खुद को सम्मानित किए जाने पर उन्होंने कहा कि “भारत में लेसोथो की उच्चायुक्त महामहिम लेबोहांग वैलेंटाइन मोचाबा और एएएफटी के अध्यक्ष संदीप मारवाह द्वारा सम्मानित किये जाने पर प्रसन्नता हुई. एएएफटी के छात्रों के साथ यह एक आनंददायक बातचीत थी. मैं सभी विद्यार्थियों को भविष्य में सफलता की कामना करता हूं.”

हजार पन्ने पढ़िए तब एक पन्ना लिखिए- उपेन्द्र राय

मारवाह स्टूडियो में भारत एक्सप्रेस के सीएमडी और एडिटर इन चीफ उपेन्द्र राय ने अपने साक्षात्कार में कई प्रेरक बातें कहीं. लिखने और सोशल मीडिया को लेकर उन्होंने कहा कि हजार पन्ने पढ़िए तब एक पन्ना लिखिए. अगर आपकी आत्मा से कोई ऐसी बात निकल रही है तो आपको लिखने के लिए परमात्मा ने एक खुला आकाश तो दिया ही है और इस संसार ने आपको सोशल मीडिया दिया है तो उसका खूब अच्छे से इस्तेमाल करिए. खूब अच्छे से अपनी बातें रखिए जो विचार में आए उसको लिखिए और बिना भय और डर के लिखिए तभी जाकर आपके जीवन में जब आप कुछ नया करते हैं और अपने मन की करते है तो बदलाव शुरु होता है. और बदलाव शुरु करने के लिए कोई किताब पढ़कर या कोई अच्छे गुरु के सत्संग में आकर या अपने मन अंतरआत्मा की आवाज सुनकर जब आप आगे बढ़ते हैं तभी बदलाव शुरु होता है.

सोशल मीडिया को बताया अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम

वहीं उन्होंने अपनी बात में इतिहास से जुड़े एक वाकये का जिक्र किया कि जब हिटलर ने गैस चैंबर में 9 लाख लोगों को जलाया तो एक बच्चे ने अपने नाखून से खुरच कर लिखा था अगर परमात्मा कहीं इस दुनिया में है तो उसे हमसे माफी मांगनी चाहिए. वहीं उन्होंने आगे कहा कि उस बात को सुनने से मेरा मन बड़ा भारी हुआ. उस समय उस छोटे बच्चे को जो समझ में आया होगा लिखा होगा. उन्होंने कहा कि उस समय सोशल मीडिया नहीं था लेकिन आज आप लोगों के पास पावर फुल टूल है. आप लोग जरूर लिखिए और अपनी आवाज उठाइए और अच्छे से लिखिए. वहीं उन्होंने लिखने को व्यक्तित्व के विकास का सशक्त माध्यम बताया.

भारत का डंका पूरी दुनिया में बज रहा- उपेन्द्र राय

साक्षात्कार के दौरान जब उनसे पूछा गया कि आप जी-20 से लेकर राम मंदिर तक तमाम कार्यक्रमों के साक्षी रहे हैं तो ऐसे में आप को लगता है कि क्या भारत का बिगुल पूरी दुनिया में बज चुका है. क्योकि बहुत से बच्चे आज भारत छोड़कर दूसरी जगहों पर पढ़ने जाना चाहते हैं. ऐसे में उपेन्द्र राय ने कहा कि देखिए मैं मानता हूं कि भारत हमेशा से बहुत विशाल और महान रहा है. इसी कारण से भारत को जगद्गुरु कहा गया.

उन्होंने कहा कि 3000 सालों तक भारत को लूटा जाता रहा और इसे लूटने वालों में सिकंदर के अलावा कोई राजा नहीं रहा. सब किसी न किसी कबीले के लोग रहे. इतनी बड़ी राजशाही के बावजूद छोटे-छोटे डकैत भारत को लूट कर चले गए. उसका कारण था कि यहां पर लोगों में मत भेद था एकता नहीं थी. ऐसे में आचार्य चाणक्य ने उन्हें समझाते हुए कहा हमारी सीमाएं इतनी मजबूत रहे कि कोई उन्हें लूटकर न ले जाए. बावजूद हुआ इसके उल्टा ही. छोटे-छोटे स्वार्थ टकराते रहे और लोग यहां आते रहे. वहीं उन्होंने वर्तमान में पीएम मोदी के कार्यों की सराहना की. उन्होंने कहा कि मौजूदा परिदृश्य में भारतीय पासपोर्ट की इज्जत काफी बढ़ी है, इससे पता चलता है कि विश्व में भारत को लोग गंभीरता से ले रहे हैं. वहीं उन्होंने कहा कि आज कई ऐसी इंडस्ट्रीज हैं जिनमें भारत का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है.

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तनाव से दूर रहने का दिया मूल मंत्र

सीएमडी उपेन्द्र राय ने एक सवाल के जवाब में छात्रों को तनाव से दूर रहने का मूल मंत्र भी दिया. उन्होंने कहा कि हम कहां और किस जगह पैदा हुए इसमें हमारा कोई वश नहीं है. वहीं हम कहां और कब मरेंगे यह भी नहीं पता होता. यानी कि न जिंदगी पर हमारा वश है न मौत पर हमारा वश है. अब बचता है बीच का जीवन. इसपे भी हमारा वश नहीं है. वहीं अपने भाग्य को कोसने वालों को लेकर उन्होंने कहा कि भाग्य और तकदीर हम ही लिखते हैं. रोज लम्हा-लम्हा करके भाग्य हम स्वयं लिखते हैं. वहीं उपेन्द्र राय ने पूछे गए कई सवालों के जवाब बहुत ही खूबसूरती से दिया.

-भारत एक्सप्रेस

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