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ये मस्जिद कैसे हो सकती है… मध्य प्रदेश में धार के इस ढांचे में प्राचीन मूर्तियां, कमल पुष्प का छत्र; उठ रहा सवाल- अधिकारी हिंदू क्यों नहीं?

Dhar Bhojshala Dispute : बसंत पंचमी के मौके पर मध्य-प्रदेश में धार भारी पुलिस-जाब्‍ते के हवाले रहा. धार में भोजशाला का मुद्दा गर्माया हुआ है, यहां हिंदू अनुयायी सरस्वती पूजन करते हैं, हालांकि मालिकाना हक उनके पास नहीं है. इसकी वजह है, यहां खड़ा इस्‍लामी ढांचा…जिसे मुस्लिम कमल मौला मस्जिद कहते हैं और इसलिए इस जगह पर दो समुदायों के बीच हमेशा तनाव रहा है.

जब कोई बाहर से आया व्‍यक्ति धार स्थित इस ढांचे पर नजर डालता है, तो देखकर भम्र में पड़ जाता है. दरअसल, ढांचे में सनातन-संस्कृति के प्रतीक चिह्नों की भरमार है. ढांचे में बड़े आकार की ‘कमल के पुष्‍प’ की आकृति है. इसके अलावा दीवारों पर देवी-देवताओं और नर्तकियों की प्रतिमाएं उकेरी हुई हैं. जो पत्‍थर और शिलाएं यहां मौजूद हैं, वे हजार साल तक पुराने प्रतीत होते हैं.

‘कमल के पुष्प पर देवी सरस्वती ही नजर आती हैं’

इस स्‍थल को देखकर सवाल यह भी उठता है कि जब इस्‍लाम का फैलाव ही भारत में कुछ सौल साल पहले हुआ था, तो यहां हमेशा से कोई दरगाह, मस्जिद या अन्‍य इस्‍लामी इबादतगाह कैसे हो सकती है? अयोध्‍या में हनुमानगढ़ी के महंत राजूदास कहते हैं कि यह आश्‍चर्य की बात है कि किसी मस्जिद का नाम संस्कृत शब्द से शुरू होता है, और वो भी जहां कमल पर देवी सरस्वती नजर आती हों, फिर भी मुस्लिमों को हर शुक्रवार और ईद पर यहां नमाज पढ़ने की इजाजत है, लेकिन हिंदुओं को मंगलवार और वसंत पंचमी पर ही प्रार्थना करने की अनुमति है.

मालिकाना हक को लेकर हिंदू-मुस्लिम पक्ष अदालत पहुंचे

बता दें कि इस स्थल पर मालिकाना हक को लेकर हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदायों के बीच कानूनी लड़ाई अदालत में चल रही है. अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनने और ज्ञानवापी के परिसर में पूजा का अधिकार मिलने के बाद हिंदू संगठनों को उम्मीद है कि धार स्थित भोजशाला का यह स्थल उन्हें पूरी तरह मिलेगा. इसके लिए इंदौर हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई है और इस पर कोर्ट की ओर से सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है. उम्मीद है कि इस मामले में 19 फरवरी को सुनवाई होगी.

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भोजशाला को अतिक्रमण मुक्त कराने की कवायद इनकी

हाईकोर्ट में जो याचिका दायर की गई है, उसके पक्षकार हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ट्रस्ट, रंजना अग्निहोत्री, आशीष गोयल, आशीष जनक, मोहित गर्ग, जितेंद्र बिसने, सुनील सास्वत आदि हैं. इनके अलावा केंद्र सरकार, आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई), आर्कियोलॉजिकल ऑफिसर, मप्र सरकार, जिला कलेक्टर, एसपी, मौलाना कमालुद्दीन थू इट्स प्रेसीडेंट अब्दुल समद खान, श्री महाराजा भोजशाला संस्थान समिति को पार्टी बनाया गया है.

— भारत एक्सप्रेस

Vijay Ram

ऑनलाइन जर्नलिज्म में रचे-रमे हैं. हिंदी न्यूज वेबसाइट्स के क्रिएटिव प्रेजेंटेशन पर फोकस रहा है. 10 साल से लेखन कर रहे. सनातन धर्म के पुराण, महाभारत-रामायण महाकाव्यों (हिंदी संकलन) में दो दशक से अध्ययनरत. सन् 2000 तक के प्रमुख अखबारों को संग्रहित किया. धर्म-अध्यात्म, देश-विदेश, सैन्य-रणनीति, राजनीति और फिल्मी खबरों में रुचि.

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