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CM योगी से मिले विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह, यूपी में देश का पहला AI कमीशन बनाने की मांग, जानें ये क्यों है जरूरी

लखनऊ के सरोजिनी नगर से भाजपा विधायक डाॅ. राजेश्वर सिंह ने सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर कहा है कि Artificial Intelligence का नियोजित उपयोग कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य, शिक्षा, यातायात और रोजगार के क्षेत्र में सहायक सिद्ध होगा.

CM Yogi MLA Rajeshwar Singh

मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के साथ विधायक राजेश्‍वर सिंह

BJP MLA Rajeshwar Singh: भाजपा विधायक डाॅ. राजेश्वर सिंह ने राजधानी लखनऊ में सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी (AI) आधारित कमीशन बनाने की मांग की.

सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीर साझा करते हुए उन्होंने लिखा, ‘सुशासन के शिल्पकार, उत्तर प्रदेश में समृद्धि एवं निवेश के सूत्रधार, यशस्वी मुख्यमंत्री परम श्रद्धेय योगी आदित्यनाथ जी से मिलकर उनका आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन प्राप्त किया! अटल राजनेता, साहसी कर्मयोगी, तपस्वी धर्मयोद्धा आदरणीय योगी जी का मार्गदर्शन सदैव जनसेवा हेतु नई ऊर्जा एवं स्फूर्ति प्रदान करता है!’

उन्होंने कहा कि स्नेहिल भेंट के दौरान श्रद्धेय मुख्यमंत्री जी को पत्र सौंप कर उत्तर प्रदेश में देश के पहले Artificial Intelligence Commision की स्थापना हेतु आग्रह किया. देश के सबसे अग्रणी राज्य उत्तर प्रदेश में AI का नियोजित उपयोग कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य, शिक्षा, यातायात और युवा रोजगार के क्षेत्र में सहायक सिद्ध होगा.

किसी भी राज्य में नहीं बना AI कमीशन

लखनऊ के सरोजिनी नगर क्षेत्र से विधायक डॉ. सिंह ने मुख्यमंत्री को इस आशय पर एक पत्र सौंपकर पूर्णकालिक समिति/मॉनिटरिंग कमीशन की रूपरेखा भी प्रस्तुत की जिसमें प्रमुख सचिव/विशेष सचिव/सचिव (आईटी) सदस्य सचिव के रूप में शामिल हो. पत्र के अनुसार, उत्तर प्रदेश देश की सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य होने के साथ-साथ तेजी से आर्थिक विकास करने वाला राज्य भी है. राज्य में शिक्षा, चिकित्सा और रोजगार के क्षेत्र में AI महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

अब तक देश के किसी भी राज्य या केंद्र सरकार द्वारा AI के नियंत्रित उपयोग हेतु कोई भी कमीशन नहीं बनाया गया है, ऐसे में उत्तर प्रदेश इस मामले में अग्रणी राज्य बन सकता है. प्रस्तावित निकाय का कार्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग को विनियमित, नियंत्रित और मॉनिटर करना, AI से संबंधित मामलों के लिए एसडब्ल्यूओटी (ताकत-कमजोरी-अवसर-खतरा) विश्लेषण द्वारा नीतियां/योजनाएं बनाने में राज्य सरकार को सलाह देना और इसके के फायदे और नुकसान दोनों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता पैदा करना हो.

एआई के दुरुपयोग के प्रमुख खतरे-

a. सामाजिक हेरफेर
b. प्रचार प्रसार
c. व्यक्तिगत डेटा/गोपनीयता का उल्लंघन
d. स्वायत्त हथियार
e. आर्थिक संकट
f. नौकरी में विस्थापन
g. अनायास नतीजे

यूपी शासन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अवसर

1. कानून और व्यवस्था: अपराधों की रोकथाम और पता लगाने के लिए सिस्टम विकसित किया जा सकता है. बायोमेट्रिक पहचान/चेहरे की पहचान के आधार पर अपराधियों के डेटाबेस को रिकॉर्ड करने और बनाए रखने के लिए एआई सिस्टम को तैनात किया जा सकता है. फ़िंगरप्रिंट और चेहरे की पहचान प्रणालियों में सुधार से अपराधों के कुशल फोरेंसिक विश्लेषण में योगदान मिलेगा.

2. आपदा प्रबंधन: भौगोलिक कारकों की निगरानी करने और भविष्य की आपदाओं की कुशलतापूर्वक भविष्यवाणी करने और प्रभावितों को निकालने के लिए आवश्यक संसाधनों को समय पर तैनात करने के लिए सैटेलाइट इमेजिंग तकनीक का उपयोग किया जाना चाहिए.

3. आर्थिक विकास: न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप के साथ स्वचालित बैंकिंग प्रणाली बैंकिंग धोखाधड़ी और वित्तीय अपराधों की संख्या में कमी सुनिश्चित करेगी. एआई निगरानी वाली लेन-देन प्रणाली हर लेनदेन की जवाबदेही सुनिश्चित करेगी और काले धन के सृजन को रोकेगी.

4. परिवहन: लाखों लोग प्रतिदिन परिवहन के विभिन्न साधनों का उपयोग करके यात्रा करते हैं, चाहे वह सड़क, रेल, वायु या जल हो. एआई सिस्टम को नियोजित करके इन परिवहन नेटवर्क को बेहतर बनाया जा सकता है. एआई सड़क दुर्घटनाओं की संख्या को कम कर सकता है और यातायात नियमों को बेहतर ढंग से लागू करने में बहुत फायदेमंद हो सकता है.

5. शिक्षा: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में बदलते परिवेश में खुद को संशोधित करने की क्षमता होती है. यह क्षमता छात्रों को उनकी सीखने की क्षमताओं और पैटर्न के आधार पर शिक्षा प्रदान करने के लिए फायदेमंद हो सकती है.

6. आधारभूत संरचना.

7. सरकारी नीतियां/योजनाएं: एआई की मदद से सरकार लोगों की जरूरत के सटीक विश्लेषण के आधार पर जहां भी आवश्यक हो, कल्याणकारी नीतियां बना सकती हैं. इससे सरकार यह निगरानी करने में भी सक्षम हो सकती है कि उसकी कल्याणकारी योजनाएं लक्षित नागरिकों के लिए किस हद तक पहुंच रही है.

उत्तर प्रदेश में एआई के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए एक पर्यवेक्षी निकाय की आवश्यकता –

  1. उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा राज्य है, जिसकी अनुमानित जनसंख्या 2023 में लगभग 25 करोड़ है, जिसमें से 22.7% जनसंख्या शहरी क्षेत्र में और 77.73% ग्रामीण क्षेत्र में है.
  2. हाल के दिनों में राज्य देश के आर्थिक विकास का केंद्र बन गया है.
  3. बुनियादी ढांचे और आर्थिक गतिविधियों में तेजी से वृद्धि और राज्य की जनसांख्यिकी इसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग के खतरों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती है.

इसके अलावा विधायक राजेश्वर सिंह ने एआई के उपयोग की निगरानी और संचालन के लिए पर्याप्त अनुभव और विशेष ज्ञान वाले व्यक्तियों और संगठनों को शामिल करने वाले विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने का प्रस्ताव भी दिया है, जिसमें प्रमुख सचिव/विशेष सचिव/सचिव (आईटी), सदस्य सचिव के रूप में शामिल हों. उन्होंने पत्र में राज्य सरकार को एआई से संबंधित मामलों के लिए संवैधानिक तरीके से उचित ​नीतियां बनाने का भी अनुरोध किया.

-भारत एक्सप्रेस

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