कैप्टन शिवा चौहान
Captain Shiva Chauhan: भारत की बेटियां अब हर क्षेत्र में आगे आते हुए अपना परचम लहरा रही हैं. यहां तक की सीमा पर देश की रक्षा में भी ये अपनी अहम भूमिका निभा रही हैं. इसी क्रम में एक और उपलब्धि हासिल करते हुए भारतीय सेना में कैप्टन शिवा चौहान के नाम एक नया कीर्तिमान दर्ज हुआ है.
इंडियन आर्मी के फायर एंड फुरी कॉर्प्स की महिला कैप्टन शिवा चौहान की तैनाती दुनिया के सबसे ऊंचे और भारत के सबसे अहम युद्धक्षेत्र पर हुई है. कैप्टन शिवा चौहान को उनकी इस उपलब्धि पर देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी बधाई दी है.
सबसे खतरनाक माना जाता है यह पोस्ट
सबसे खतरनाक माने जाने वाले उत्तरी ग्लेशियर बटालियन के हेडक्वार्टर, कुमार पोस्ट पर कैप्टन शिवा चौहान अपनी सेवाएं दे रही हैं. यह पोस्ट 15,632 फीट की ऊंचाई पर स्थित है.
यह पहली बार है कि जब भारतीय सेना ने किसी महिला की तैनाती इतने खतरनाक पोस्ट पर की है. सियाचिन दुनिया का सबसे ऊंचा युद्ध क्षेत्र है. यहां पिछले 38 सालों से भारत और पाकिस्तान की सेनाएं आमने-सामने हैं. इसके अलावा भारत यहां से चीन की गतिविधियों पर भी नजर रखता है.
फायर एंड फुरी कॉर्प्स ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि शिवा फायर एंड फुरी सैपर्स हैं और इस पोस्ट पर तैनाती से पहले कैप्टन शिवा चौहान को बेहद ही कठिन ट्रेनिंग से गुजरना पड़ा है. इस दौरान दिन में कई घंटों तक शिवा चौहान को बर्फ की दीवार पर चढ़ने की ट्रेनिंग दी गई है.
क्या है फायर एंड फुरी कॉर्प्स
फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स भारतीय थल सेना का एक अहम हिस्सा है. इसे 14 कोर भी कहा जाता है. आमतौर पर इसकी तैनाती जम्मू-कश्मीर में चीन-पाकिस्तान की सीमाओं पर होती है. इसका मुख्यालय लेह में है.
जानिए कौन हैं शिवा चौहान
शिवा चौहान मूलरूप से राजस्थान के उदयपुर शहर की रहने वाली हैं. वहीं से उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग से स्नातक किया है. शिवा जब 11 साल की थीं तभी उनके पिता का निधन हो गया. पिता के गुजरने के बाद उनकी मां ने शिवा की परवरिश करते हुए उनकी शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया.
बात करें सेना में शिवा के प्रशिक्षण के बारे में तो शिवा ने चेन्नई में आफिसर ट्रेनिंग एकेडमी (OTA) से प्रशिक्षण लिया है. 2021 के मई महीने में उनकी नियुक्ती भारतीय सेना के इंजीनियर रेजीमेंट हुई थी.
कैप्टन शिवा ने एक जुलाई 2022 के दिन कारगिल विजय दिवस पर 508 किलोमीटर (युद्ध स्मारक से कारगिल युद्ध स्मारक तक) लंबे सुरा सोई साइकिल अभियान का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया था.