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FDI In India: वैश्विक चुनौतियों और अनिश्चितताओं के बावजूद भारत में आता रहेगा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, 2025 में होगी वृद्धि

FDI भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि भविष्य में अवसंरचना क्षेत्र में बड़े निवेशों की आवश्यकता होगी. इसके अलावा, FDI प्रवाह से भुगतान संतुलन बनाए रखने और रुपये की वैल्यू को स्थिर रखने में मदद मिलती है.

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भारत में इस साल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) ने वैश्विक अनिश्चितताओं और चुनौतियों के बावजूद अच्छा प्रदर्शन किया है. जनवरी से अब तक भारत में औसतन हर महीने 4.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक FDI प्रवाह हुआ है, और 2025 में भी यह प्रवृत्ति जारी रहने की उम्मीद जताई जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा निवेशकों के लिए कई पहल किए जाने के कारण भारत को एक आकर्षक निवेश गंतव्य के रूप में देखा जा रहा है.

सरकार की निवेश समर्थक नीतियां

भारत सरकार ने विभिन्न कदम उठाए हैं ताकि विदेशी निवेशकों को आकर्षित किया जा सके. इनमें निवेशकों के लिए निवेश की वापसी पर अच्छा लाभ, कुशल मानव संसाधन, कम अनुपालन बोझ, उद्योग से संबंधित मामूली अपराधों को अपराधमुक्त करना, राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली के तहत अनुमोदन और मंजूरी की प्रक्रिया को सरल बनाना, और उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं का कार्यान्वयन शामिल हैं. इसके अलावा, FDI नीति की समय-समय पर समीक्षा और उद्योग प्रतिनिधियों के साथ गहन परामर्श से नीति में सुधार किए गए हैं.

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FDI प्रवाह में वृद्धि

2024 की जनवरी से सितंबर तक FDI प्रवाह में 42% की वृद्धि देखी गई, जो 42.13 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 29.73 बिलियन डॉलर था. इसी अवधि में विनिर्माण क्षेत्र में FDI में 69% की वृद्धि दर्ज की गई, जो 2004-2014 के बीच 98 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2014-2024 में 165 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया. इसके परिणामस्वरूप कुल FDI 2023-24 में 71.28 बिलियन डॉलर रहा.

मूल्यवर्धन के लिए सुझाव

हालांकि, भारत एक आकर्षक निवेश स्थल के रूप में उभरकर सामने आया है, विशेषज्ञों का मानना ​​है कि सरकार को व्यापार में आसानी को और बढ़ाना चाहिए, जैसे कि दवा, निजी सुरक्षा एजेंसियों, प्रसारण और बागवानी क्षेत्रों में क्षेत्रीय सीमा को liberalize करना और प्रेस नोट 3 (2020) के तहत सामान्य नियमों को लचीला बनाना. प्रेस नोट 3 के तहत भारत की सीमा से लगे देशों से FDI आवेदन के लिए सरकारी स्वीकृति अनिवार्य है.

चाइना प्लस वन रणनीति

भारत ने अभी तक ‘चाइना प्लस वन’ रणनीति को पूरी तरह से अपनाने में सीमित सफलता प्राप्त की है, जबकि वियतनाम, थाईलैंड, कंबोडिया और मलेशिया जैसे देशों ने इस अवसर का अधिक लाभ उठाया है. फिर भी, भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक कंपनियों के लिए एक आकर्षक विकल्प के रूप में देखा जाता है, खासकर उन कंपनियों के लिए जो चाइना से बाहर अपनी निर्माण इकाइयाँ शिफ्ट करना चाहती हैं.

निवेश के प्रमुख क्षेत्र

वर्तमान में भारत में सबसे अधिक FDI सेवा क्षेत्र, कंप्यूटर सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर, दूरसंचार, निर्माण विकास, ऑटोमोबाइल, रसायन और फार्मास्युटिकल्स जैसे क्षेत्रों में हो रहा है. सरकार ने अधिकांश क्षेत्रों में FDI को स्वचालित मार्ग से अनुमति दी है, जबकि कुछ क्षेत्रों जैसे कि दूरसंचार, मीडिया, दवा और बीमा में विदेशी निवेशकों के लिए सरकारी स्वीकृति की आवश्यकता होती है.

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  • भारत एक्सप्रेस


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