Chandrayaan-3
Chandrayaan-3: भारत के चंद्र मिशन चंद्रयान-3 के सफल होने में ज्यादा समय नहीं है. लैंडर विक्रम में न सिर्फ ISRO की वैज्ञानिकों की महत्वाकांक्षाएं भरी हैं, बल्कि 141 करोड़ लोगों की भावनाएं भी भरी हुई हैं. चंद्रयान 3 चंद्रमा के धक्षिणी ध्रुव पर उतरने के लिए पूरी तरह से तैयार है. इस वक्त पूरी दुनिया की निगाहें चंद्रयान 3 पर टिकी हुई हैं. लैंडर विक्रम अब चांद से महज 25 किलोमीटर ही दूर है. 14 जुलाई को लॉन्चिंग के बाद यान ने 5 अगस्त को बिना किसी परेशानी के चांद के कक्षा में प्रवेश कर लिया था. 23 अगस्त को लैंडर विक्रम की सफल लैंडिंग के बाद भारत इतिहास रचने जा रहा है.
बता दें कि अब चंद्रयान 3 के लैंडिंग का काउंटडाउन शुरू हो गया है. ISRO के वैज्ञानिकों ने कमल कस ली है. आज से कुछ साल पहले नासा के वैज्ञानिकों ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ के रूप में पानी का पता लगाया था. हालांकि, ये बस अंदाजा ही था. वैज्ञानिकों की माने तो यहां ईंधन, ऑक्सीजन और पीने के पानी का भंडार मिल सकता है.
बता दें कि रूस और भारत दोनों का लक्ष्य चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचकर इतिहास कायम करना है. भारत ने जैसे ही चंद्रयान 3 लॉन्च किया था, उसके कुछ दिनों बाद ही रूस ने भी चांद पर अपने यान को भेज दिया.
चांद पर पहुंचने की होड़
चंद्रयान-3 चंद्रमा तक पहुंचने का भारत का तीसरा प्रयास और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को छूने का दूसरा प्रयास है. हालांकि, रूस के लिए, लूना 25 1976 के बाद से उसका पहला मिशन है. रोस्कोस्मोस ने कहा है कि दोनों मिशन एक-दूसरे के रास्ते में नहीं आएंगे क्योंकि उन्होंने अलग-अलग जगहों पर लैंडिंग की योजना बनाई है. इसमें कहा गया, “ऐसा कोई खतरा नहीं है कि वे एक-दूसरे के साथ हस्तक्षेप करें या टकराएं. चंद्रमा पर सभी के लिए पर्याप्त जगह है.”
इसरो के पूर्व प्रमुख डॉक्टर के सिवन ने पीटीआई-भाषा को बताया कि अंतरिक्ष में किए जा रहे शोध जिज्ञासा और खोज की मानवीय भावना को बढ़ाती है. उन्होंने कहा, “दोनों मिशनों का लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को छूना है.
चंद्रयान-3 का अब तक का सफर
14 जुलाई को दोपहर 2:35 बजे भारत का तीसरा चंद्रमा मिशन चंद्रयान -3 को एलवीएम 3 रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्चपैड से लॉन्च किया गया था. चंद्रयान-3 एक लैंडर, एक रोवर और एक प्रोपल्शन मॉड्यूल से लैस था. 5 अगस्त को प्रोपल्शन मॉड्यूल अलग होने के बाद अब रोबर प्रज्ञान को अपने पेट में सुरक्षित रखकर लैंडर विक्रम चांद की ओर लगातार बढ़ता जा रहा है. जिस रफ्तार से अभी लैंडर विक्रम आगे बढ़ रहा है उसके अनुसार वैज्ञानिकों का मानना है कि वो 23 अगस्त को चांद को छू लेगा. अब लैंडर विक्रम चांद से महज 25 किलोमीटर दूर ही है.
लैंडिंग से पहले विक्रम की होगी इंटरनल चेकिंग
इसरो के मुताबिक, लैंडर विक्रम अभी 1.68 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से हॉरिजोंटल डायरेक्शन में चांद की ओर बढ़ रहा है. लैंडर को 90 डिग्री वर्टिकल डायरेक्शन में लाया जाएगा. लैंडिंग से पहले विक्रम लैंडर की इंटरनल चेकिंग होगी और सूर्योदय का इंतजार किया जाएगा. लैंडिंग के लिए चिन्हित जगह पर सूरज की रौशनी पड़ते ही लैंडर को सतह पर उतारा जाएगा. इसके लिए इसरो यहां से कमांड भेजेगा. प्रोपल्शन मॉड्यूल अभी चांद के चक्कर लगा रहा है. बाहरी ऑर्बिट में यह महीनों या सालों तक चक्कर लगाता रहेगा. प्रोपल्शन मॉड्यूल का काम बस विक्रम लैंडर को चांद की कक्षा में पहुंचाना था.
-भारत एक्सप्रेस
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