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AAP विधायक और मंत्री Saurabh Bhardwaj ने क्यों पकड़ा BJP नेता Vijender Gupta का पैर, जानें क्या है मामला

दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी (AAP) और बीजेपी (BJP) के बीच बस मार्शलों को लेकर लगातार खींचतान चल रही है. इसी खींचतान के बीच शनिवार को एक गजब का नजारा दिखा.

दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी (AAP) और बीजेपी (BJP) के बीच बस मार्शलों को लेकर लगातार खींचतान चल रही है. इसी खींचतान के बीच शनिवार को एक गजब का नजारा दिखा, जिसमें दिल्ली की मौजूदा सीएम आतिशी बीजेपी नेता विजेंद्र गुप्ता की गाड़ी में बैठ गईं, जबकि आप नेता सौरभ भारद्वाज उनके पैर पकड़ते नजर आए.

 पुलिस की हिरासत में सौरभ भारद्वाज

दिल्ली पुलिस ने बस मार्शलों को तैनात करने के मुद्दे पर एलजी वीके सक्सेना के आवास के बाहर प्रदर्शन कर रहे आप नेताओं को हिरासत में ले लिया है, दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि, “आज, भाजपा ने 10,000 बस मार्शलों को धोखा दिया है. विजेंद्र गुप्ता ने हमसे वादा किया था कि अगर हम कैबिनेट से प्रस्ताव पारित करते हैं तो वे एलजी के माध्यम से बस मार्शलों को नियमित करेंगे। लेकिन, आज, दोनों – एलजी और भाजपा नेताओं ने बस मार्शलों और दिल्ली के लोगों को धोखा दिया है.

आप ने किया पोस्ट

आम आदमी पार्टी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X के पोस्ट में लिखा कि बस मार्शलों की बहाली के लिए आज बीजेपी विधायकों के सामने कैबिनेट नोट पास करने के बाद उस नोट को लेकर LG के पास गईं CM आतिशी और पार्टी के मंत्री और विधायक, जहां भाजपा विधायकों ने भागने का पूरा प्रयास किया लेकिन मंत्री सौरभ भारद्वाज और बाकी आप के नेताओं ने उन्हें भागने नहीं दिया. CM आतिशी जी खुद BJP विधायक की गाड़ी में बैठकर LG House गईं ताकि बीजेपी विधायकों को भगाने का कोई भी मौका ना मिले.

केजरीवाल ने दी प्रतिक्रिया

इस मामले पर दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, मुझे गर्व है अपने मंत्रियों पर जो लोगों के काम करवाने के लिए किसी के पैरों में भी लेट जाते हैं. मेरी LG साहिब और बीजेपी वालों से विनती है कि इस मुद्दे पर और राजनीति ना करें और तुरंत बस मार्शलों को नौकरी पर रखा जाए.

क्या है मामला

आप और बीजेपी के आपसी खींचतान ये मामला दिल्ली में बसों के मार्शल के रूप में तैनात 10 हजार से अधिक नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों को लेकर छिड़ा है, जिन्हें नागरिक सुरक्षा निदेशालय की आपत्ति के बाद पिछले साल नौकरी से निकाल दिया गया था. निदेशालय का कहना था कि मार्शल आपदा प्रबंधन कर्तव्यों के लिए नियुक्त किए गए हैं. ऐसे में वह बसों में मार्शल नहीं रह सकते.

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