Bharat Express

Ramcharitmanas Controversy: रामचरितमानस विवाद मामले में स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल, धार्मिक भावनाएं आहत करने का है आरोप

Lucknow: स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था, “रामचरितमानस में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया है. तुलसीदास ने इसे अपनी खुशी के लिए लिखा था. करोड़ों लोग इसे नहीं पढ़ते.”

Swami Prasad Maurya

सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्या

Ramcharitmanas Controversy: श्रीरामचरितमानस विवाद मामले में सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी गई है. इस मामले में 24 जनवरी को उनके ऊपर मामला दर्ज कराया गया था. बाजारखाला निवासी शिवेंद्र मिश्रा ने 24 जनवरी को हजरतगंज थाने में स्वामी प्रसाद मौर्य पर धार्मिक भावनाएं आहत करने समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि 22 जनवरी को एक न्यूज चैनल पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस पर आपित्तजनक टिप्पणी की, जिससे हिंदूओं की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं.

रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी देने के मामले में लखनऊ के हजरतगंज पुलिस ने सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है. हजरतगंज इंस्पेक्टर अखिलेश कुमार मिश्रा ने बताया कि केस की विवेचना के दौरान जो वीडियो बयान था, उसकी जांच कराई गई, जिसमें पुष्टि हुई कि बयान आरोपी का ही था. इसी आधार पर उनको एक नोटिस भेजा गया था. बयान आदि लेने के बाद विवेचना पूरी कर चार्जशीट दाखिल कर दी गई है.

ये भी पढ़ें-Ramcharitmanas: “योगी सरकार ने उसी सुंदरकांड का पाठ कराने का निर्णय लिया है, जिसमें महिलाओं व शूद्रों का हुआ अपमान” सपा नेता स्वामी प्रसाद के फिर बिगड़े बोल

मौर्य पर ये लगा था ये आरोप

बाजारखाला निवासी शिवेंद्र मिश्रा ने 24 जनवरी को हजरतगंज थाने में स्वामी प्रसाद मौर्या पर धार्मिक भावनाएं आहत करने सहित कई धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था और आरोप लगाया था कि 22 जनवरी को वह एक न्यूज चैनल पर डिबेट सुन रहे थे, इसी दौरान स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस पर आपित्तजनक टिप्पणी की थी, जिससे हिंदू समाज की धार्मिक भावनाएं आहत हुई थीं. बयान जाति विभाजित करने व समाज में घृणा फैलाने वाला है.

ये दिया गया था विवादित बयान

बता दें कि श्रीरामचरितमान पर विवादित टिप्पणी करते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था, “रामचरितमानस में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया है. तुलसीदास ने इसे अपनी खुशी के लिए लिखा था. करोड़ों लोग इसे नहीं पढ़ते.” इसी के साथ उन्होंने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को पत्र लिखकर उन चौपाइयों को हटाने अथवा संशोधित करने की मांग की थी. इस बयान के बाद कई दिनों तक यूपी की सियासत गरमाई रही.

-भारत एक्सप्रेस



इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.

Also Read