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सूर्यदेव को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हुआ महाछठ पर्व, 36 घंटे बाद व्रतियों का उपवास खुला; PM मोदी ने दी बधाई

लोक आस्था के प्रतीक चार दिवसीय महापर्व छठ के अंतिम दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया गया. भारी संख्या में आस्थावान दिल्ली में बने विभिन्न घाटों पर पहुंचे और भगवान भास्कर को नमन किया.

Chhath Puja 2024: लोक आस्था के प्रतीक चार दिवसीय महापर्व छठ के अंतिम दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया गया. भारी संख्या में आस्थावान दिल्ली में बने विभिन्न घाटों पर पहुंचे और भगवान भास्कर को नमन किया. यमुना घाट पर ऐसे व्रती भी थे जो किसी कारणवश अपने गांव घर नहीं जा पाए और उन्होंने यहीं पर अपने अपनों संग छठ मनाया. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को बधाई दी है.

पीएम मोदी ने X.com पर लिखा, “महापर्व छठ के चार दिवसीय अनुष्ठान से प्रकृति और संस्कृति की जो झलक देखने को मिली है, वो देशवासियों में एक नई ऊर्जा और उत्साह भरने वाली है. सुबह के अर्घ्य के पावन अवसर पर सभी देशवासियों को बहुत-बहुत बधाई.”

पीएम मोदी में पोस्ट में बधाई देने के साथ एक वीडियो भी शेयर की है, जिसमें छठ पर श्रद्धालुओं द्वारा किए जा रहे अनुष्ठान के दर्शन कराए गए हैं.

बिहार में छठ सबसे बड़ा पर्व

आपको बता दें कि बिहार-झारखंड में छठ सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. इस अवसर पर अन्य राज्यों में रह रहे बिहार-झारखंड के निवासियों ने भी व्रत रखा था. आज सुबह दिल्ली के अलावा झारखंड के दुमका और बिहार के मुजफ्फरपुर में भी व्रती विधिवत अर्घ्य देती दिखीं. महिलाओं ने 36 घंटे बाद भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर उपवास तोड़ा.

दिल्ली में नदी के घाट पर पहुंची एक महिला ने कहा— “छठ बहुत ही पवित्र त्यौहार है, मैं इसको मनाने के लिए हर बार घर जाती थी, लेकिन इस बार नहीं जा पाई और दिल्ली में ही छठ करना पड़ रहा है. छठ की कई मान्यताएं हैं. इसे घर की सुख समृद्धि और वंश वृद्धि के लिए किया जाता है.”

एक अन्य व्रती महिला ने बताया- छठ पूजा बिहार, झारखंड और यूपी में समान भाव से मनाया जाता है, लेकिन अब अच्छा लगता है कि लोकपर्व देश दुनिया में पूरे उत्साह से मनाया जाता है.

दिल्ली में भी मना यह महापर्व

दिल्ली में भी महापर्व मनाने के लिए लोगों की अधिक तादाद देखने को मिल रही है. छठ के समय ट्रेनों में बहुत भीड़ होता है, टिकट मिलना बहुत मुश्किल होता है, जिसके कारण हम लोग दिल्ली में ही छठ मनाते हैं.

छठ के समय घर की याद आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि घर की याद तो आती है. गांव में घर के पूरे सदस्य होते हैं. अपना परिवार होता है, सभी लोग मिलकर छठ मनाते हैं, तो उसका अलग अहसास होता है.

वहीं, बिहार के मुजफ्फरपुर में भी महापर्व के आखिरी दिन श्रद्धालुओं की भीड़ दिखी. जिले में 127 घाटों पर लाखों की संख्या में छठ व्रतियों ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया. यहां भी हजारों की संख्या में घरों के आंगन और छतों पर कृत्रिम घाट बनाकर व्रती महिलाओं ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया.

— भारत एक्सप्रेस



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