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सैम पित्रोदा के China पर दिए बयान से कांग्रेस ने बनाई दूरी, जयराम रमेश बोले- ये पार्टी के विचार नहीं

कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के चीन पर विवादास्पद बयान के बाद पार्टी ने उनकी टिप्पणी से दूरी बनाई. जयराम रमेश ने स्पष्ट किया कि पित्रोदा के विचार पार्टी के आधिकारिक विचार नहीं हैं.

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कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के चीन पर हालिया बयान ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है. पित्रोदा की टिप्पणी के बाद कांग्रेस ने तुरंत अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि यह उनके व्यक्तिगत विचार हैं और पार्टी के आधिकारिक रुख से इनका कोई संबंध नहीं है. पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने 17 फरवरी 2025 को एक बयान जारी कर पित्रोदा के बयान को पार्टी की आधिकारिक नीति से अलग बताया.

सैम पित्रोदा के बयान पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया

सैम पित्रोदा ने चीन से संबंधित अपने बयान में ऐसा कुछ कहा था जो कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक दृष्टिकोण से मेल नहीं खाता था. जयराम रमेश ने इस बयान को स्पष्ट करते हुए कहा कि कांग्रेस के लिए चीन सबसे बड़ी विदेश नीति, बाह्य सुरक्षा और आर्थिक चुनौती बना हुआ है. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पहले भी मोदी सरकार की चीन नीति पर सवाल उठा चुकी है, विशेषकर 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चीन को दी गई क्लीन चिट को लेकर.

चीन पर कांग्रेस का आधिकारिक रुख

कांग्रेस पार्टी का चीन पर हालिया आधिकारिक बयान 28 जनवरी 2025 को जारी किया गया था, जिसमें सरकार की चीन नीति पर गंभीर सवाल उठाए गए थे. जयराम रमेश ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा चीन के साथ संबंधों को सामान्य करने का निर्णय लिया गया है, लेकिन इस समय ऐसा निर्णय क्यों लिया गया, यह सवाल महत्वपूर्ण है. खासतौर पर तब जब 2024 के डिसइंगेजमेंट समझौते से जुड़े कई सवालों का अब तक जवाब नहीं मिला है.

वाणिज्यिक और सांस्कृतिक संबंधों की बहाली

भारत और चीन के बीच हाल ही में वाणिज्यिक और सांस्कृतिक संबंधों को बहाल करने पर सहमति बनी है. इसमें डायरेक्ट फ्लाइट्स, कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली और उदार वीजा नीति जैसी बातें शामिल हैं. हालांकि, कांग्रेस ने यह सवाल उठाया कि सरकार ने लद्दाख के उन 2,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को वापस लेने के लिए क्या कदम उठाए हैं, जहां 2020 तक भारतीय सेना की पेट्रोलिंग होती थी.

भारत-चीन सीमा विवाद पर कांग्रेस के सवाल

कांग्रेस ने मोदी सरकार से पूछा कि क्या वह चीन से 2020 के अप्रैल माह की यथास्थिति को बहाल करने में नाकाम रही है. थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पहले कहा था कि वे अप्रैल 2020 की स्थिति बहाल करना चाहते हैं. वहीं, विदेश मंत्री ने 3 दिसंबर 2024 को संसद में कहा था कि “कुछ क्षेत्रों में स्थिति को स्थायी रूप से बदलने के लिए अस्थायी कदम उठाए गए हैं.” यह संकेत देता है कि भारत ने चीन के साथ ‘बफर जोन’ बनाने पर सहमति जताई है, जिससे भारतीय सैनिक और पशुपालक पहले की तरह इन क्षेत्रों में नहीं जा सकते.

प्रधानमंत्री के बयान पर कांग्रेस की आलोचना

जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर भी हमला बोला. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने जब यह कहा कि “ना कोई हमारी सीमा में घुस आया है, ना ही कोई घुसा हुआ है”, तो इससे चीन को बातचीत खींचने का मौका मिला. रमेश ने कहा कि इस दौरान चीन ने भारतीय क्षेत्र के रणनीतिक हिस्सों पर अपना कब्जा मजबूत कर लिया और भारत-चीन व्यापार में भी बढ़ोतरी हुई.

आत्मनिर्भर भारत पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस का आरोप

कांग्रेस ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि उसने चीन से निर्भरता कम करने के बजाय उसे बढ़ा दिया. कांग्रेस ने कहा कि 2018-19 में 70 बिलियन डॉलर का आयात किया गया था, जबकि 2023-24 में यह आंकड़ा बढ़कर 102 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया. इसके बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान पूरी तरह से विफल साबित हुआ है. चीन से आयात का यह रिकॉर्ड स्तर मोदी सरकार की नीतियों पर सवाल उठाता है.

सैम पित्रोदा के बयान से उठे विवाद के बाद कांग्रेस ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि पार्टी का रुख अलग है. पार्टी ने चीन से संबंधों को लेकर सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल उठाए हैं और यह मुद्दा आने वाले दिनों में राजनीतिक बहस का हिस्सा बना रह सकता है.


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-भारत एक्सप्रेस



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