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‘शादी से किया इंकार, तो पापा ने 6 साल तक नहीं की बात…’ कंटेट क्रिएटर्स ने इंस्टाग्राम पर बयां की संघर्ष की कहानी

Content creators keerthika Govindaswamy: तमिलनाडु की कंटेट क्रिएटर्स कीर्तिका ने इंस्टाग्राम पर अपना दर्द बयां किया है. उन्होंने बचपन से लेकर अवार्ड मिलने तक के सफर को इंस्टाग्राम पर साझा किया है.

Content creators keerthika Govindaswamy

पीएम से अवार्ड लेती कीर्तिका.

Content creators keerthika Govindaswamy: पीएम नरेंद्र मोदी ने 8 मार्च को नई दिल्ली के भारत मंडपम में नेशनल क्रिएटर्स अवार्ड्स कार्यक्रम में देशभर के 23 कंटेट क्रिएटर्स को सम्मानित किया. इस दौरान कई बार पीएम मोदी भावुक हो गए. इन 23 में से एक अवार्ड बेस्ट स्टोरी टेलर कैटेगरी में भी था. पीएम मोदी ने बेस्ट स्टोरी टेलर कीर्तिका गोविंदासामी को सम्मानित किया.

जब कीर्तिका मंच पर पहुंची तो उन्होंने पीएम मोदी के पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहा, लेकिन पीएम ने सम्मानजनक तरीके से उन्हें मना कर दिया. इसके बाद पीएम ने कहा कि राजनीति में पैर छूने की परंपरा बन गई है. संस्कृति और कला जगत में पैर छूने के मायने अलग होते हैं. हालांकि अवार्ड लेने के बाद कीर्तिका ने अपनी स्टोरी को इंस्टग्राम पर शेयर किया है. जो कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.

घर से दुकान पर गई तो रिश्तेदारों ने मारा थप्पड़

कीर्तिका ने अपने इंस्टाग्राम पेज पर लिखा कि मैं जब 15 साल की थी तो एक रात मैंने अपने पिता को रोते हुए सुना क्योंकि गांव के लोग मेरे बारे में भला-बुरा कह रहे थे. वे जन्म के बाद से लेकर अब तक शर्मिंदा रहे. मेरा कोई ब्वाॅयफ्रेंड नहीं था. मैं पढ़ने में भी बहुत अच्छी थी. मैं सब कुछ खुद से करना चाहती थी. मैं परिवार के पुरूषों पर निर्भर नहीं रहना चाहती थी.

एक बार मैं अपने घर से 100 मीटर दूर कुछ सामान लेने दुकान पर चली गई. इसके लिए न सिर्फ मुझे डांट पड़ी बल्कि थप्पड़ भी मारा गया. कीर्तिका ने बताया कि वह एक पुरातत्वविद बनना चाहती थी. इसलिए मैंने इतिहास में स्नातक करने का फैसला किया. लेकिन ग्रेजुएशन के बाद घरवालों ने आगे पढ़ाने की बजाय मेरी शादी कराने का फैसला किया.

पापा ने 6 साल तक नहीं की बात

मैंने जब शादी से इंकार किया तो पापा मुझसे इस कदर नाराज हो गए कि उन्होंने 6 साल तक बात नहीं की. इस दौरान मैंने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया. कीर्तिका ने कहा कि जब वह दिल्ली में पीएम से पुरस्कार लेने पहुंची तो मुझे अपने आप पर भरोसा नहीं हुआ. मेरा हौंसला सातवें आसमान पर था. पुरस्कार देते समय जिस तरह से उन्होंने मुझे देखा वो मेरे जीवन का सबसे अद्भूत क्षण था. कीर्तिका ने अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट के आखिर में कहा कि लड़कियों को पढ़ाना चाहिए. जरूरी नहीं है कि लड़कियां शिक्षित होने के बाद घर छोड़कर भाग जाती है.



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