Bharat Express

Delhi Election 2025: कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण लड़ाई, आप और भाजपा के मजबूत गढ़ों में सेंध लगाने की कोशिश

Delhi Election 2025: दिल्ली विधानसभा के पिछले तीन चुनावों के आंकड़ों पर नजर डालें तो यह स्पष्ट हो जाता है कि कांग्रेस के लिए यह राह बेहद कठिन है. 2013 के बाद से नई दिल्ली, कालकाजी और जंगपुरा जैसी प्रमुख सीटों पर कांग्रेस का मतदाता आधार लगातार कमजोर हुआ है.

कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और विपक्ष के नेता राहुल गांधी. (फाइल फोटो: आईएएनएस)

Delhi Election 2025: फरवरी में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ अपनी खोई जमीन वापस पाने के उद्देश्य से हाई-प्रोफाइल उम्मीदवार उतारे हैं. हालांकि, पिछले तीन चुनावों के आंकड़ों पर नजर डालें तो यह स्पष्ट हो जाता है कि कांग्रेस के लिए यह राह बेहद कठिन है. 2013 के बाद से नई दिल्ली, कालकाजी और जंगपुरा जैसी प्रमुख सीटों पर कांग्रेस का मतदाता आधार लगातार कमजोर हुआ है.

नई दिल्ली: कांग्रेस की खोई प्रतिष्ठा का केंद्र

नई दिल्ली सीट कांग्रेस के लिए ऐतिहासिक रूप से बेहद अहम रही है. 2008 में शीला दीक्षित ने यहां से 39,778 वोटों के साथ जीत दर्ज की थी, लेकिन 2013 में अरविंद केजरीवाल के राजनीति में प्रवेश के बाद कांग्रेस का दबदबा खत्म हो गया. शीला दीक्षित को 2013 में केजरीवाल के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा, और कांग्रेस के वोट घटकर 18,405 हो गए.

2020 के चुनावों में कांग्रेस को इस सीट पर महज 3,220 वोट मिले, जो 2008 के मुकाबले केवल 12वां हिस्सा था. इस बार कांग्रेस ने संदीप दीक्षित को मैदान में उतारा है, जो शीला दीक्षित के बेटे और पूर्व सांसद हैं. संदीप आक्रामक प्रचार कर रहे हैं, लेकिन केजरीवाल की लोकप्रियता और आप के मजबूत संगठन के सामने यह लड़ाई उनके लिए ‘राजनीतिक हिमालय’ जीतने जैसी होगी.

कालकाजी: आतिशी के गढ़ में कांग्रेस कमजोर

कालकाजी सीट पर आप ने लगातार अपना दबदबा बढ़ाया है. 2013 में पार्टी ने यहां 28,639 वोट हासिल किए थे, जो 2020 में बढ़कर 55,897 हो गए. आतिशी, जो 2020 में पहली बार इस सीट से चुनाव लड़ी थीं, ने अपने प्रभावशाली काम और शिक्षा क्षेत्र में योगदान के चलते बड़ी जीत दर्ज की.

दूसरी ओर, कांग्रेस के वोट लगातार गिरते रहे. 2008 में कांग्रेस को 38,360 वोट मिले थे, जो 2020 में घटकर केवल 4,956 रह गए. इस बार कांग्रेस ने महिला कांग्रेस प्रमुख अलका लांबा को उतारा है. अलका का राजनीति में लंबा अनुभव है, लेकिन कमजोर संगठन और गिरे हुए जनाधार के चलते यह सीट कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण बनी हुई है.

जंगपुरा: कांग्रेस के गढ़ में आप-भाजपा का कब्जा

जंगपुरा एक और सीट है, जहां कांग्रेस ने कभी अपना दबदबा बनाया था. 1998 से 2008 के बीच कांग्रेस उम्मीदवार तरविंदर सिंह मारवाह ने तीन बार यहां जीत दर्ज की थी. लेकिन 2013 से स्थिति बदल गई. आप और भाजपा ने इस सीट पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली.

2013 में आप ने यहां 29,701 वोट हासिल किए थे, जो 2020 में बढ़कर 45,086 हो गए. भाजपा ने भी अपने वोटों में इजाफा किया और 2013 में 18,978 से 2020 में 29,070 तक पहुंच गई. इसके विपरीत कांग्रेस के वोट लगातार गिरते रहे और 2020 में 13,565 पर सिमट गए. कांग्रेस ने इस बार पूर्व मेयर फरहाद सूरी को उतारा है, लेकिन उनके लिए भी यह मुकाबला आसान नहीं होगा.

भाजपा की स्थिरता और कांग्रेस के लिए संभावित रणनीति

दिलचस्प बात यह है कि भाजपा ने इन सीटों पर अपने वोट बैंक को स्थिर रखा है. नई दिल्ली में 2015 और 2020 दोनों चुनावों में भाजपा को लगभग 25,000 वोट मिले. भाजपा की रणनीति है कि कांग्रेस के प्रदर्शन में सुधार का फायदा उठाकर आप को हराने की संभावना बनाई जाए.
कांग्रेस के लिए यह चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उनके पुनरुद्धार के लिए जरूरी है

आम आदमी पार्टी और भाजपा के मजबूत गढ़ों में सेंध लगाना कांग्रेस के लिए आसान नहीं है. हालांकि, पार्टी के उम्मीदवार अगर जमीनी मुद्दों और स्थानीय भावनाओं को भुनाने में सफल होते हैं, तो यह उनके लिए एक नई शुरुआत हो सकती है.

-भारत एक्सप्रेस



इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.

Also Read