दिल्ली की जेलों में सुविधाओं के मामले में दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया है कि जेलों में सुविधाओं के मानक पर प्रतिक्रिया देने के लिए आगंतुकों का एक बोर्ड अधिसूचित किया गया है. मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ राष्ट्रीय राजधानी की जेलों में व्याप्त समस्याओं से संबंधित एक स्वप्रेरणा मामले की सुनवाई कर रही थी. अदालत ने दिल्ली सरकार को यह काम पूरा करने के लिए 15 अक्टूबर तक का समय दिया था.
दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि दिल्ली कारागार नियमों के अनुरूप छह ऐसे बोर्डों के गठन की अधिसूचना 14 अक्टूबर को जारी की गई थी. बोर्ड जेल अधिकारियों को स्वास्थ्य, स्वच्छता और सुरक्षा सहित जेल में बनाए रखी जाने वाली बुनियादी सुविधाओं के मानक के संबंध में प्रतिक्रिया प्रदान करता है. अदालत ने अधिकारियों को 16 सप्ताह के भीतर जेल अस्पतालों में चिकित्सा, पैरा-मेडिकल और अन्य पदों पर रिक्तियों को भरने का भी काम सौंपा.
मंगलवार को पीठ ने कहा जेलों में भीड़भाड़ है. जेल की क्षमता 100 है, लेकिन वहां करीब 200 लोग हैं. इसलिए, स्वीकृत (आवश्यक) कर्मचारियों की संख्या पूरी होनी चाहिए. सभी मौजूदा रिक्तियों को भरा जाना चाहिए. मामले में हस्तक्षेपकर्ता के अधिवक्ता अजय वर्मा ने दलील दी कि तिहाड़ जेल में मेडिकल और पैरा-मेडिकल पदों पर कई रिक्तियां हैं. दिल्ली सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता अनुज अग्रवाल ने आश्वासन दिया कि सभी रिक्तियों को जल्द से जल्द भरा जाएगा.
न्यायालय ने 1 अक्टूबर को दिल्ली सरकार को बोर्ड को अधिसूचित करने के लिए समय दिया था, और ऐसा न किए जाने पर गृह सचिव को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया था. 14 अक्टूबर की अधिसूचना में तिहाड़, रोहिणी और मंडोली जेल परिसरों के लिए आगंतुकों के बोर्ड में एक आधिकारिक और गैर-आधिकारिक सदस्यों की नियुक्ति की गई. आधिकारिक आगंतुकों में न्यायिक और दिल्ली सरकार के अधिकारी शामिल हैं, जबकि गैर-आधिकारिक आगंतुकों में सामाजिक कार्यकर्ता और मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर शामिल हैं.
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-भारत एक्सप्रेस
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