दिल्ली हाईकोर्ट ने अशनीर ग्रोवर और फिनटेक फर्म भारतपे के बीच विवादों को सुलझाने के लिए एकमात्र मध्यस्थ की नियुक्ति का आदेश पारित किया. मध्यस्थ को ग्रोवर और भारतपे के बीच विवादों को सुलझाने का काम सौंपा जाएगा, जो ग्रोवर द्वारा अपने रोजगार समझौते के तहत गोपनीयता के कथित उल्लंघन से उत्पन्न हुए थे.
न्यायमूर्ति सी हरि शंकर ने मध्यस्थता और सुलह अधिनियम की धारा 11 के तहत भारतपे द्वारा दायर याचिका पर आदेश पारित किया. भारतपे ने तर्क दिया कि कंपनी के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक के रूप में, ग्रोवर के पास कंपनी से संबंधित संवेदनशील और गोपनीय जानकारी तक पहुंच थी, जिसका खुलासा उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से किया.
कंपनी ने कहा कि उसने रोजगार समझौते के तहत मध्यस्थता का आह्वान करते हुए ग्रोवर को एक नोटिस भेजा था और विवादों को सुलझाने के लिए एकमात्र मध्यस्थ के रूप में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता के नाम का प्रस्ताव रखा था। ग्रोवर मध्यस्थ न्यायाधिकरण के गठन पर सहमत हुए, लेकिन न्यायमूर्ति गुप्ता की नियुक्ति पर सहमत नहीं हुए। इसके बजाय उन्होंने सुझाव दिया कि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जेआर मिढ्ढा को मध्यस्थ के रूप में नियुक्त किया जाना चाहिए.
— भारत एक्सप्रेस