दिल्ली हाईकोर्ट. (फाइल फोटो)
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) एवं दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को निर्देश दिया है कि वे राजधानी में अपनी सीमाओं और अधिकार क्षेत्रों का यथासंभव सटीकता (देशांतर और अक्षांश) के साथ सीमांकन करें. मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने उपराज्यपाल से आग्रह किया है कि वे सर्वेक्षण को पूरी दिल्ली में विस्तारित करने पर विचार करें, जिससे सभी वैधानिक प्राधिकरणों के अधिकार क्षेत्र को स्पष्ट रूप से सीमांकित किया जा सके और जमीनी स्तर की वास्तविकता रहस्यपूर्ण न रहे. यह सभी को पता भी हो.
पीठ ने यह निर्देश संरक्षित निजामुद्दीन दरगाह और बावली के पास एक गेस्ट हाउस के अनाधिकृत निर्माण से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. उसने डीडीए के आयुक्त (एलएम) के हलफनामे पर ध्यान दिया जिसमें कहा गया था कि इस मामले में सर्वे ऑफ इंडिया के माध्यम से लगभग 97 वर्ग किलोमीटर (दिल्ली के ओ जोन) का ड्रोन सर्वेक्षण किया गया है. पीठ ने कहा कि अब एलजी को इसी तरह का सर्वेक्षण पूरी दिल्ली में विस्तारित करने पर विचार करना चाहिए जिससे सभी प्राधिकरणों के अधिकार क्षेत्र को स्पष्ट रूप से सीमांकित किया जा सके. डीडीए ने जवाब देकर कहा था कि अदालती आदेश से एक संस्थागत दीर्घकालिक तंत्र स्थापित करने के लिए सर्वे ऑफ इंडिया डीडीए और एमसीडी के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता किया गया है.
यह तब हुआ जब कोर्ट ने डीडीए और एमसीडी को राजधानी में अतिक्रमण के साथ-साथ अवैध और अनाधिकृत निर्माण के खतरे से निपटने के लिए संरचनात्मक सुधार करने और नई रणनीति तैयार करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने समझौते को देखते हुए कहा कि सभी पक्षकारों को उसके अनुसार दीर्घकालिक तंत्र स्थापित करना होगा. उसने एमसीडी के आयुक्त से भी कहा कि वे मामले में शामिल सभी अधिकारियों की प्रशासनिक जिम्मेदारी तय करें और पालन नहीं करने पर सख्त कार्रवाई करें.
-भारत एक्सप्रेस
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