जेडीयू का चुनाव चिह्न (प्रतीकात्मक तस्वीर).
JDU Organizational Election: दिल्ली हाई कोर्ट ने जनता दल युनाइटेट के सांगठनिक चुनाव को चुनौती देने वाली जेडीयू के पूर्व नेता गोविंद यादव की याचिका को खारिज कर दिया है. जस्टिस पुरुषेंद्र कौरव की बेंच ने शुक्रवार को याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ऐसी कोई वजह नहीं है कि जेडीयू के सांगठनिक चुनाव में हस्तक्षेप किया जाए. कोर्ट ने कहा कि याचिका संविधान के अनुच्छेद 226 के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है. अनुच्छेद 226 हाई कोर्ट को ये अधिकार देता है कि अगर किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा हो तो वे आदेश जारी कर सकती है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसले में क्या कहा?
दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 29A के तहत चुनाव आयोग का काम केवल राजनीतिक दल के आवेदन पर विचार करना और अगर कोई तथ्यात्मक बदलाव होता है तो उसकी सूचना रखना सुनिश्चित करना है. जैसे ही कोई राजनीतिक दल का रजिस्ट्रेशन हो जाता है निर्वाचन आयोग की परिवीक्षण की भूमिका खत्म हो जाती है.
पूर्व जदयू नेता ने दायर की थी याचिका
बता दें कि जेडीयू के पूर्व नेता गोविंद यादव ने याचिका दायर कर कहा था कि जेडीयू का 2016, 2019 और 2022 में जो सांगठनिक चुनाव हुआ था, वो पार्टी के संविधान का उल्लंघन कर हुआ था. याचिका में यह भी कहा गया था कि पार्टी के पदाधिकारियों में बदलाव के बारे में चुनाव आयोग को पार्टी की अधिसूचनाएं जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29A(9) का अनुपालन नहीं करती है.
याचिकाकर्ता गोविंद यादव ने जनता दल और उसके उत्तराधिकारियों जेडीयू के भीतर एक विशिष्ट इतिहास का दावा किया था, जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय महासचिव और राज्य अध्यक्ष सहित कई प्रमुख पदों पर कार्य किया है. उनकी शिकायत 10 अप्रैल 2016 को जेडीयू के अध्यक्ष के रूप में नीतीश कुमार के चुनाव से उपजी है.
-भारत एक्सप्रेस