दिल्ली हाईकोर्ट (फाइल फोटो).
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली बार काउंसिल के उपाध्यक्ष संजीव नसियार की एलएलबी (ऑनर्स) डिग्री की प्रामाणिकता की सीबीआई से जांच कराने तथा बार काउंसिल के उपाध्यक्ष पद से उनके निलंबन के बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के निर्देश पर रोक लगा दी है. नसियार आम आदमी पार्टी (आप) के लीगल सेल के अध्यक्ष भी हैं.
न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने बीसीआई के निर्देश पर रोक लगाते हुए सुनवाई 21 जनवरी के लिए स्थगित कर दी है. नसियार की ओर वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने न्यायमूर्ति से कहा कि विविद्यालय पहले ही पुष्टि कर चुका है कि नसियार की डिग्री असली है. यह बात हाईकोर्ट पहले ही मान चुका है. उन्होंने यह भी कहा कि बीसीआई ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर अपने शक्तियों का प्रयोग किया है और नसियार को अपना पक्ष रखने का अवसर दिए बगैर निलंबित कर दिया है. बीसीआई ने उनके मुवक्किल को फर्जी भी नहीं कहा है. सिर्फ यह कहा है कि यह संदिग्ध है.
वरिष्ठ अधिवक्ता पहवा ने यह भी कहा कि किसी मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया जाना सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र में है, न कि बीसीआई के अधिकार क्षेत्र में. बीसीआई के पास सीबीआई जांच के बगैर हटाने का निर्देश जारी करने का अधिकार नहीं है. वैसे बीसीडी के पास हटाने का अधिकार हो सकता है, लेकिन बीसीआई एकतरफा कार्रवाई नहीं कर सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि बीसीआई के पास अपने स्वयं के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को हटाने का अधिकार भी नहीं है.
बीसीआई के वरिष्ठ अधिवक्ता कीर्तिमान सिंह ने तर्क दिया कि संबंधित विविद्यालय ने डिग्री की प्रामाणिकता की पुष्टि कर चुका है, लेकिन इसे साबित करने का अंतिम अधिकार उसके पास नहीं है. विविद्यालय फर्जी डिग्री देने में शामिल हो सकता है. उन्होंने कहा कि बीसीडी बीसीआई को जांच करने से नहीं रोक सकता है. वास्तविकता यह भी है कि नसियार को एलएलबी (आनर्स) की डिग्री 1988 में मिली थी, जबकि विविद्यालय ने यह पाठय़क्रम वर्ष 2008 से शुरू किया था. उन्होंने कहा कि निलंबन का उप समिति का रिपोर्ट विविद्यालय में जाकर गहन जांच के बाद आया है.
इस पर नसियार के वकील पहवा ने जवाब दिया कि इसी अवधि के दौरान इसी विविद्यालय ने हाईकोर्ट के न्यायमूर्तियों, तीन नामित वकीलों और पूर्व अध्यक्ष को एलएलबी की डिग्री दे चुका है. यह निलंबन का आदेश केवल मेरे लिए लक्षित है. विविद्यालय के लिए कोई निर्देश नहीं है. उन्होंने इसके साथ ही मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए अंतरिम संरक्षण की मांग की जिसे कोर्ट ने मान लिया.
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