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Delhi High Court ने CAT 2024 रिजल्ट पर याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा, जानें क्या है पूरा मामला

दिल्ली हाईकोर्ट ने कैट 2024 के रिजल्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. याचिकाकर्ता ने एक प्रश्न के उत्तर में गलती का आरोप लगाया, जिसका असर परिणाम पर पड़ा है.

Delhi High Court

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दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय प्रबंधन संस्थानों (IIM) और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में नामांकन के लिए आयोजित कॉमन एडमिशन टेस्ट (CAT), 2024 के रिजल्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. यह याचिका कैट के एक अभ्यर्थी ने दाखिल की है, जिसने आरोप लगाया है कि एक प्रश्न के उत्तर में गलती है. उसका असर कैट के रिजल्ट पर पड़ा है.

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति तारा वितस्ता गंजू ने कहा कि कुछ सीमित परिस्थितियों को छोड़कर अदालत प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित ऐसे विवादों में हस्तक्षेप नहीं करती है. इस पहलू पर कानून स्पष्ट है. वह तभी हस्तक्षेप करती है, जब कोई गंभीर गलती हो. ऐसी परिस्थिति में हम हस्तक्षेप करेंगे. जब कोई ग्रे एरिया हो, तो हम हस्तक्षेप नहीं करेंगे.

याचिकाकर्ता के वकील प्रवीण कुमार सिंह ने कहा कि विवादित उत्तर पर याचिकाकर्ता के आपत्ति का कई कैट कोचिंग सेंटरों व विशेषज्ञों ने समर्थन किया है. इस एक प्रश्न पर 272 आपत्तियां दर्ज की गई है. भले ही दो विकल्प सही हों, पर जिन अभ्यर्थियों ने सही उत्तर नहीं चुना वे लाभान्वित हो रहे हैं. परीक्षा आयोजित करने वाले आईआईएम कलकत्ता ने भी अपने जवाब में यह स्पष्ट नहीं किया है कि उसका उत्तर कैसे सही है और अभ्यर्थी का उत्तर कैसे गलत है. आईआईएम ने यह भी नहीं बताया है कि आपत्तियों की जांच करने वाले विशेषज्ञ कौन थे. वकील सिंह ने कोर्ट को कुछ वीडियो दिखाए, जिसमें दिखाया गया कि कोचिंग सेंटरों ने किस तरह से संबंधित प्रश्न का समाधान समझाया है.

मामले में अदालती हस्तक्षेप का किया विरोध

आईआईएम कलकत्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद नायर ने इस मामले में अदालती हस्तक्षेप का विरोध किया. साथ ही कोचिंग सेंटरों के समाधानों का भी विरोध किया. उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ समिति ने पहले ही आपत्तियों पर विचार कर लिया है और सही उत्तर के बारे में व्यक्तिगत मतभेद समिति के दृष्टिकोण को कम नहीं करता है.

उन्होंने यह भी कहा कि अगर सही उत्तर पर कोई संदेह है तो वे परीक्षकों के दृष्टिकोण को तरजीह दिया जाए. उन्होंने विशेषज्ञ सदस्यों के नाम भी कोर्ट को सीलबंद लिफाफे में दिए. याचिकाकर्ता के वकील ने इसपर कहा कि यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि उनका उत्तर कैसे सही है और अभ्यर्थी का उत्तर कैसे गलत है. कोर्ट ने इसके बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.

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-भारत एक्सप्रेस 



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