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मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर विवाद: सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका, संविधान के उल्लंघन का आरोप

मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट में नई अर्जी दाखिल की गई है. यह अर्जी मध्य प्रदेश कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने दायर की है.

Supreme Court of India

सुप्रीम कोर्ट.

मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट में नई अर्जी दाखिल की गई है. यह अर्जी मध्य प्रदेश कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने दायर की है. अर्जी में नए कानून पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है.

जया ठाकुर का कहना है कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्तियां नए कानून के तहत तब भी की जा रही है, जब याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. अर्जी में कहा गया है कि सीईसी फरवरी 2025 में सेवानिवृत्त हो रहे है, ऐसे में कानून पर तत्काल रोक लगनी चाहिए. हालही में सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई के लिए नई बेंच का गठन किया है. जो छह जनवरी को सुनवाई करने वाली है.

संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन

इससे पहले दायर याचिका में कहा गया है कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाली समिति से हटाना अनूप बरनवाल बनाम भारत संघ और अन्य के मामले का उल्लंघन है. अनूप बरनवाल मामले में फैसला देते हुए कोर्ट ने कहा था कि पैनल में प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और भारत के मुख्य न्यायाधीश शामिल होने चाहिए.

वही,  नए कानून में सीजेआई की जगह कैबिनेट मंत्री को बतौर सदस्य रखा गया है. याचिका में यह भी कहा गया है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है. 2 मार्च 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, जिसमें कहा गया था कि CEC और EC की नियुक्ति तीन सदस्यीय पैनल की तरफ से की जाएगी.

एग्जेक्युटिव के कंट्रोल में होगी सलेक्शन प्रक्रिया

इसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शामिल होंगे. केंद्र सरकार ने 2023 में जो कानून बनाया है उसमें सिलेक्शन कमिटी में चीफ जस्टिस को हराकर उनकी जगह पीएम की ओर से नामित केंद्रीय मंत्री को रखा गया है. इस तरह से सलेक्शन प्रक्रिया खतरे में होगी और हेरफेर का आदेश है क्योंकि सलेक्शन प्रक्रिया एग्जेक्युटिव के कंट्रोल में होगा.

इससे पहले याचिकाकर्ता जया ठाकुर की ओर से अदालत में पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा था कि जब कोई फैसला सुनाया जाता है तो कोई उल्लंघन नही हो सकता है. उन्होंने तर्क दिया था कि मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम 2023 में स्पष्ट उल्लंघन हुआ है. बता दें कि रिटायर्ड आईएएस अधिकारी ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संघु को निर्वाचन आयुक्त किया गया था. इनकी नियुक्ति रद्द करने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी. याचिकाकर्ता ने सीजेआई को चयन समिति में रखने की मांग गई थी.

-भारत एक्सप्रेस



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