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श्यामा प्रसाद मुखर्जी के विचार, PM मोदी का संकल्प; एक सूत्र से कैसे हो रहा भारत का विकास?

6 जुलाई डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का Shyama Prasad Mukherjee Jayanti है. आइये इस मौके पर जानें कैसे उनका सपना मौत तक अधूरा रह गया था. अब उनके विचारों से प्रेरित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्या फैसले लिए हैं और कैसे देश के विकास पर उनके विचार की झलक नजर आती है.

Dr Shyama Prasad Mukherjee Birth Anniversary PM Modi

फाइल फोटो 06 जुलाई 2020

Shyama Prasad Mukherjee Jayanti: कहते हैं कुछ सपने वक्त की धूल में दब जाते हैं लेकिन कुछ विचार ऐसे होते हैं जो सारी बाधाओं को तोड़कर हकीकत बन जाते हैं. भारत की आजादी भी कुछ ऐसी ही कहानी है जो खून, पसीने और बलिदान से लिखी गई है. 15 अगस्त 1947, भारत के इतिहास का वो स्वर्णिम दिन जब सदियों की गुलामी की जंजीरें टूट गईं. लेकिन आजादी की ये सुबह अपने साथ बंटवारे का दर्द भी लाई. हमारी अपनी धरती को दो हिस्सों में बांट दिया गया. एक भारत बना और दूसरा पाकिस्तान के रूप में सामने आया. बटवारा केवल जमीनों का नहीं था. इसने दिलों में भी फूट डाल दी थी जो उस दौर के कुछ नेताओं के स्वार्थ, मुस्लिम लीग की चाल और अंग्रेजों की फूट डालो नीति का नतीजा था. इसके बाद भी ये सिलसिला नहीं थमा.

देश को एक सूत्र में बांधने के लिए संविधान गढ़ा जा रहा था तो हमारे सिरमौर कश्मीर को एक खाई के जरिए संपूर्ण भारत से अलग रखा गया. इस खाई का नाम धारा 370 था. इसी खाई के सबसे बड़े विरोधी श्यामा प्रसाद मुखर्जी थे. उन्होंने एक देश, एक विधान और एक प्रधान का सपना देखा हालांकि, ये 23 जून 1953 को उनकी मौत तक अधूरा रहा. सपना भले अधूरा रह गया लेकिन उन्होंने एक विचार की ज्योत जला दी थी जिसे 66 साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरा किया.

आखिर क्यों हो रही ये चर्चा?

अब आप सोच रहे हैं कि हम डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की बात आज क्यों कर रहे हैं? तो इसका जवाब है कि 6 जुलाई को उनका जन्मदिन (Shyama Prasad Mukherjee Birth Anniversary) है. आइये इस मौके पर हम जानें की कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न सिर्फ उनके अधूरे सपने को पूरा किया बल्कि उस सपने का विस्तार भी किया. इसी का परिणाम है कि आज देश में कई ऐसी योजनाएं चल रही है और कई ऐसे फैसले हुए हैं जो भारत को एक दिखाता है. साथ ही भारत को एक सूत्र के साथ आगे ले जाने का काम कर रहा है.

Shyama Prasad Mukherjee
संविधानसभा में श्यामा प्रसाद मुखर्जी

शनिवार की दोपहर जब जन्मे श्यामा प्रसाद मुखर्जी

ब्रिटिश भारत की राजधानी कोलकाता समेत देशभर में क्रांति की आग सुलग रही थी. उन दिनों के वायसराय लॉर्ड कर्जन की नीतियों के कारण भारतीयों में राष्ट्रवाद और आत्मनिर्भरता का विचार जाग रहा था. इसी बीच बारिश के खुशनुमा मौसम के बीच 6 जुलाई 1901, दिन शनिवार की दोपहर कोलकाता के एक प्रतिष्ठित बंगाली परिवार के आशुतोष मुखर्जी और जोगमाया देवी को बेटे का जन्म (Dr. Shyama Prasad Mukherjee Birthday) होता है. उन्होंने इस बच्चे का नाम श्यामा प्रसाद रखा.

चूंकि पिता जाने माने शिक्षाविद थे इस कारण उनके विचारों का प्रभाव श्यामा प्रसाद पर गहरा रहा. प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता में होने के बाद बच्चे को देश विदेश में शिक्षा दिलाई गई. इसी दौरान श्यामा प्रसाद मुखर्जी आजादी के आंदोलन से जुड़ गए. देश की आजादी के बाद वो मंत्री भी बने लेकिन कश्मीर के लिए उन्होंने सरकार का सुख त्याग दिया और अंत में एक राष्ट्र के लिए अधूरे सपने के साथ वो 23 जून 1953 को दुनिया छोड़कर चले गए.

Shyama Prasad Mukherjee Amrit Bazar Patrika
श्यामा प्रसाद मुखर्जी के अंतिम यात्रा की कवरेज @आनंद बाजार पत्रिका

एक खाई के जरिए कश्मीर को अलग रखा

जब भारत अपना संविधान लिख रहा था तब कश्मीर को धारा 370 के जरिए देश से अलग रखा गया. आजाद देश में यहां अलग संविधान लागू करने का प्रस्ताव आया. यह फैसला उस दौर के कद्दावर नेता और संविधान सभा के सदस्य श्यामा प्रसाद मुखर्जी को रास नहीं आया.

उन्होंने ‘एक देश, एक विधान’ का नारा बुलंद कर दिया. उनका मानना था कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और इसे अलग विशेष दर्जा देने से देश की एकता खतरे में आ सकती है. इस कारण वो खुलकर नेहरू के विरोध में आ गए. हालांकि, जवाहरलाल नेहरू की ताकत के सामने उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की गई.

66 साल बाद PM मोदी ने सपना किया साकार

कहावत है न कि विचारों को जंजीरों में नहीं बांधा जा सकता. मुखर्जी का सपना उनके जीवनकाल में अधूरा रह गया, लेकिन उनके विचारों की लौ जलती रही. इसे 66 साल बाद 5 अगस्त 2019 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐतिहासिक फैसला लिया. उन्होंने संसद में प्रस्ताव के साथ धारा 370 को हटाकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपने को साकार कर दिया. इसके बाद कश्मीर पूरी तरह भारत का हिस्सा बन गया. यहां एक कानून, संविधान और प्रधान हो गया.

PM Modi Shyama Prasad Mukherjee
फाइल फोटो 6 जुलाई 2021

मुखर्जी के विचारों से केस देश को बढा रहे हैं PM मोदी

6 जुलाई को श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्मदिन (Dr Shyama Prasad Mukherjee Birth Anniversary) है. इस मौके पर आइए, जानते हैं कि कैसे उनके विचारों ने नरेंद्र मोदी को प्रेरित किया और देश को एक नई दिशा दी. धारा 370 को खत्म करना तो बस शुरुआत थी. मोदी सरकार ने मुखर्जी की प्रेरणा से कई बड़े और साहसिक फैसले लिए. प्रधानमंत्री मोदी अक्सर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के अधूरे सपनों को पूरा करने की बात करते हैं. यह केवल एक राजनीतिक बयान नहीं है. उनकी नीतियों और कार्यक्रमों में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है. मोदी ने सिर्फ कश्मीर को मुख्यधारा में जोड़ा, बल्कि देश के विकास को नई गति दी. मुखर्जी के एक भारत, श्रेष्ठ भारत के विचार के साथ उन्होंने देश के सामुदायिक विकास को रफ्तार दिया.

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  • एक राष्ट्र, एक विधान: 5 अगस्त 2019 को संसद में एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित कर जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जे से मुक्त किया गया और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर भारतीय संविधान की पूर्ण व्यवस्था लागू की गई. यह डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का मूल सपना था.
  • एक राष्ट्र, एक कर: 2017 में लागू हुआ वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) भारत में पहली बार एक समान कर प्रणाली लेकर आया. जीएसटी ने पूरे देश में एक कर व्यवस्था लागू कर आर्थिक एकता की नींव रखी.
  • एक देश, एक राशन कार्ड: यह योजना लाखों प्रवासी मजदूरों के लिए वरदान साबित हुई है. अब कोई भी भारतीय नागरिक देश के किसी भी राज्य में अपने राशन कार्ड से सब्सिडी वाला अनाज प्राप्त कर सकता है.
  • एक राष्ट्र, एक चुनाव: भारत में लगातार चुनावों के कारण नीति निर्माण रुकता है, प्रशासनिक तंत्र थकता है और खर्च बेतहाशा बढ़ता है. नरेंद्र मोदी सरकार ‘एक देश, एक चुनाव’ की दिशा में कदम बढ़ा चुकी है.
  • डिजिटल इंडिया एक डिजिटल पहचान: मोदी सरकार में श्यामा प्रसाद मुखर्जी के विचारों का सबसे बेहतर समावेश डिजिटल इंडिया के रूप में दिखाई देता है. आज आधार कार्ड, यूपीआई, डिजिटल पेमेंट, डिजिलॉकर जैसी सुविधाओं के जरिए भारत का कोई भी नागरिक देश में कहीं से भी बैंकिंग, स्वास्थ्य, शिक्षा, और पहचान सेवाओं का लाभ उठा सकता है.
  • एक राष्ट्रीय शिक्षा नीति: भारत में नई शिक्षा नीति आ चुकी है. इसे धीरे-धीरे पूरे देश में लागू किया जा रहा है. मतलब साफ है कि देशभर में सभी स्कूली बच्चों को लगभग एक समान शिक्षा दी जाएगी. इससे बच्चों के ज्ञान का समावेशी विकास होगा.
  • सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का उत्थान: डॉ. मुखर्जी ने भारतीय संस्कृति विरासत के संरक्षण पर जोर दिया था. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में राम मंदिर का निर्माण, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का विकास और भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देना, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं.

मुखर्जी का विचार एक भारत का सूत्र

देश में राम मंदिर का निर्माण हुआ. कश्मीर से कनेक्टिविटी बढ़ रही है. हर मोर्चे पर वही भाव झलक रहा है जो डॉ. मुखर्जी ने बोया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की उस कल्पना को साकार कर रहा है, जिसके न सिर्फ उन्होने सपने देखे थे, बल्कि अपना जीवन भी बलिदान कर दिया था. यह कहना गलत नहीं होगा कि डॉ. मुखर्जी का व्यक्तित्व और उनके विचार ने भारत को एक सूत्र में बांधा है और उसे एक सूत्रीय विकास के रास्ते पर आगे बढ़ा रहा है.

PM Modi Lal Chowk Srinagar
साल 1992 में लाल चौक पर नरेंद्र मोदी

विचार से करवट लेता है इतिहास

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (Shyama Prasad Mukherjee) का जीवन एक गहरे संघर्ष की मिसाल है. उन्होंने जिस भारत का सपना देखा था, उसे आज की सरकार ने साकार किया है. आज उनकी जयंती पर हम सिर्फ उन्हें याद ही नहीं करते, बल्कि उनके विचारों को आत्मसात करते हैं और एक भारत के साथ आगे बढ़ने का संकल्प लेते हैं. क्योंकि जब विचार जीवित रहते हैं तो वो एक न एक दिन इतिहास को करवट बदलने पर मजबूर कर देते हैं. जैसे डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपनों का विचार जीवित रहा और उसे 66 साल बाद न सिर्फ प्रधानमंत्री ने पूरा क्या बल्कि उससे कई ज्यादा आगे बढ़कर देश को एक सूत्र में बांधकर तेज रफ्तार से विकास की रास्ते में लेकर जा रहे हैं.



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