बिजली कटौती से चौतरफा पसरा अंधेरा
Electricity strike in UP: बिजली कर्मियों की हड़ताल पर जाने के बाद जल निगम और परिवहन विभाग के कर्मचारियों की भी समस्याएं सामने आ रही हैं. इसी बीच जल निगम कर्मचारी संघ ने बिजली हड़ताल करने वाले कर्मचारियों का समर्थन किया है और सरकार से अपील की है कि हड़ताली कर्मचारियों की मांगे पूरी की जाएं. तो वहीं यूपी परिवहन निगम ने 6 महीने तक हड़ताल पर जाने के लिए रोक लगा दी है, जिससे साफ जाहिर होता है कि यहां के कर्मचारियों के भी हालत कुछ खास नहीं हैं. वहीं बिजली हड़ताल के बाद जल संस्थान की चेतावनी ने जनता की चिंता बढ़ा दी है. अगर जल संस्थान के कर्मचारी भी हड़ताल पर चले गए तो लोग पानी के लिए भी तरस जाएंगे.
उत्तर प्रदेश जल निगम कर्मचारी महासंघ ने एक पत्र जारी करते हुए कहा है कि उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों की 72 घंटे की हड़ताल 17 मार्च की रात 10 बजे से शुरू हो गई है. हड़ताली कर्मचारियों और उर्जा मंत्री के साथ हुए समझौते का पालन शीर्ष प्रबंधन के नकारात्मक एवं हठवादी रवैये के चलते बिजली कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने के लिए बाध्य होना पड़ा है. प्रदेश में इस हड़ताल का व्यापक असर पड़ रहा है.
उत्तर प्रदेश जल संस्थान कर्मचारी महासंघ ने उर्जा मत्री से अपील किया है कि कर्मचारियों के जायज मांगों को पूरा करते हुए हड़ताल के समाप्त करने का कष्ट करें अन्यथा उत्तर प्रदेश जल संस्थान कर्मचारी महासंत्र इस हड़ताल को समर्थन करेगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार की होगी.
परिवहन निगम ने हड़ताल पर 6 महीने की लगाई रोक
बिजली विभाग में चल रही हड़ताल को ध्यान में रखते हुए शासन ने रोडवेज में हड़ताल पर 6 महीने के रोक लगा दी है. परिवहन निगम की अपर निदेशक ने इस संबंध में सारे क्षेत्रीय प्रबंधक को पत्र भेजा है, साथ ही कहा गया है कि रोडवेज में किसी भी तरह कि हड़ताल-आंदोलन होने पर संगठन और क्षेत्रीय अधिकारी दोनों को जिम्मेदार माना जाएगा. वहीं इस विभाग के कर्मचारी भी तमाम समस्याओं को लेकर जूझ रहे हैं.
-भारत एक्सप्रेस