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भारत के इन सात गांवों में 22 साल से नहीं जलाए गए पटाखे, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान

पटाखों के ना फोड़ने की वजह भारत के नागरिकों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे विश्व समुदाय के नागरिकों के लिए आदर्श स्थापित करने वाला है.

दिल्ली-एनसीआर में जमकर फूटे पटाखे

दिल्ली-एनसीआर में जमकर फूटे पटाखे

Diwali: दीपावली के महापर्व पर जहां भारत समेत कई देशों में रहने वाले भारतीयों द्वारा खुशियां मनाई जा रही है. दीपावली के पर्व में पटाखों के फूटने के बाद जहां वायु प्रदूषण गुणवत्ता (AQI) कम हुई .है वहीं इसे सुधारने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद भी आतिशबाजी हुई है. देश के कुछ शहरों का AQI बहुत अधिक बिगड़ गया है.

इस दिवाली के मौके पर जहां पूरे देश में पटाखों की गूंज सुनाई दे रही है, वहीं तमिलनाडु के इरोड जिले के सात गांवों में इस त्योहार पर एक भी पटाखे नहीं फूटे. दो दशक से चली आ रही परंपरा को आगे बढ़ाते हुए इस वर्ष भी सेलप्पमपलयम, वदामुगम वेल्लोड, सेम्मांडमपालयम, करुक्कनकट्टू वलासु, पुंगमपाडी और दो अन्य गांवों ने ‘शांत’ दीपावली की सम्मानजनक परंपरा को बरकरार रखा.

क्या है वजह

इन सात गांवों के लोग पिछले 22 वर्षों से दिवाली पर पटाखे नहीं फोड़कर सिर्फ रोशनी, मिठाई और बच्चे नये कपड़ों के साथ दीपावली का भी पर्व मनाते हैं. पटाखों के ना फोड़ने की वजह भारत के नागरिकों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे विश्व समुदाय के नागरिकों के लिए आदर्श स्थापित करने वाला है.

तमिलनाडु में इरोड जिले के इन 7 गांवों में दिवाली बिना आतिशबाजी के मनाई जाती है. गांव वालों ने यह फैसला इरोड से 10 किलोमीटर दूर वदामुगम वेल्लोड में स्थित पक्षी अभयारण्य को देखते हुए लिया था. अक्टूबर से जनवरी तक चलने वाले प्रजनन के मौसम के दौरान अभयारण्य हजारों स्थानीय और प्रवासी पक्षियों का ठिकाना बन जाता है और इस मौसम में सभी पक्षी अपने अंडे देने, उन्हें सुरक्षित रखने और सोने के लिए अभ्यारण्य में आते हैं.

इन सात गांवों में रहते हैं 900 परिवार

इन गांवों में करीब 900 परिवार रहते हैं और जिन्होंने दो दशक पहले अभयारण्य के कारण शांति से दिवाली एवं अन्य उत्सव मनाने का फैसला लिया था. सेलप्पमपालयम, वदामुगम वेल्लोड, सेम्मांडमपालयम, करुक्कनकट्टू वलासु, पुंगमपाडी और 2 अन्य गांवों के लोग इस परंपरा का पालन करते हैं. यहां के लोग दिवाली पर्व पर भी नए कपड़े खरीदते हैं और पूजा करते हैं. आतिशबाजी के नाम पर केवल फूलझड़ी चलाते हैं, लेकिन आवाज वाले पटाखों का उपयोग नहीं करते हैं.

पर्यावरण संरक्षण दृष्टिकोण

नजदीकी पक्षी अभयारण्य में पक्षियों के संरक्षण के मद्देनजर यहां दो दशकों से पटाखों की गूंज किसी से नहीं सुनी है. ये गांव इरोड से 10 किलोमीटर दूर वदामुगम वेल्लोड के आसपास स्थित हैं, जहां पक्षी अभयारण्य है. अभ्यारण्य से जुड़े लोगों का कहना है कि शनिवार और रविवार को अभयारण्य के आसपास आतिशबाजी की कोई घटना सामने नहीं आई है जो की इन गांवों को विशिष्ट पहचान दिलाती है.

-भारत एक्सप्रेस

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