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सितंबर में आयोजित होगा जी-20 शिखर सम्मेलन, विदेश मंत्री बोले- अध्यक्षता मिलते ही घोषित की थी आमंत्रण की सूची

जी-20 देशों की सितंबर महीने में होने वाले शिखर सम्मेलन को लेकर भारत तैयारियों में जुटा हुआ है. जिसको लेकर केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि ये जी-20 शिखर सम्मेलन केवल इसके सदस्यों और राष्ट्रों के लिए है.

एस. जयशंकर, विदेश मंत्री

जी-20 देशों की सितंबर महीने में होने वाले शिखर सम्मेलन को लेकर भारत तैयारियों में जुटा हुआ है. जिसको लेकर केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि ये जी-20 शिखर सम्मेलन केवल इसके सदस्यों के लिए है. भारत ने इस सूची की समीक्षा नहीं की है. इसके अलावा न ही किसी से इस बारे में बात की है. ये पूछे जाने पर कि क्या भारत ने जी-20 सम्मेलन के लिए यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की को भी निमंत्रण दिया है ? इसपर विदेश मंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि “हमारे विचार में, G20 की भागीदारी जी-20 के सदस्यों और उन देशों और संगठनों के लिए है जिन्हें हमने G20 में आमंत्रित किया है और उस सूची को हमने जी20 की अध्यक्षता ग्रहण करते ही घोषित कर दिया था.

गौरतलब है कि भारत ने 1 दिसंबर को जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण की थी. आगामी जी-20 शिखर सम्मेलन के संबंध में बताते हुए उन्होंने कहा कि इंडोनेशिया की जी20 अध्यक्षता के दौरान अंतिम जी-20 की घोषणा प्राप्त करने में बहुत सारी चुनौतियां थीं. मैंने वास्तव में काफी प्रयास किया था. अध्यक्षता प्राप्त करने के बाद इंडोनेशियाई राष्ट्रपति की सराहना की गई थी, लेकिन मैं आपके साथ यह भी साझा करना चाहूंगा कि उस समय भी, हम में से कई लोगों ने इंडोनेशिया के साथ मिलकर काम किया था, जाहिर है कि इंडोनेशिया अध्यक्ष था, लेकिन हम एक ट्रोइका का हिस्सा थे. और कुछ देश ऐसे भी थे जो ट्रोइका के सदस्य भी नहीं थे, लेकिन जिनकी इस तरीके में रुचि थी और हम सभी ने उस संबंध में अपनी सामूहिक ऊर्जा को एक साथ रखा.”

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उन्होंने आगे कहा, “अगर मेरी याददाश्त सही है, तो पिछले साल, वास्तव में, सितंबर में, मैं मास्को गया था और उस समय मेरे मास्को जाने का एक मुख्य कारण अपने रूसी समकक्ष के साथ इस पर चर्चा करना था. इसलिए, इस वर्ष हम एक सामान्य लैंडिंग बिंदु खोजने का प्रयास कर रहे हैं. पिछले साल बाली में जो सहमति हुई थी, उसके बारे में भी मतभेद हैं. इसलिए, हम इसे कैसे संभालेंगे, यह हमारे लिए बहुत कठिन है. राजनयिक अभी भी इस पर काम कर रहे हैं. इसलिए मैं भविष्यवाणी नहीं करना चाहता, साथ ही इसके बारे में बहुत अधिक जानकारी साझा नहीं करना चाहता. यह एक चुनौती है, लेकिन कूटनीति आशावादी लोगों के लिए एक व्यवसाय है.

-भारत एक्सप्रेस

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