गोरखपुर एक्सप्रेसवे में फर्राटा भरेंगी गाड़ियां
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे का 53 % काम पूरा हो गया है.उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी से मिली जानकारी से पता चला है कि CM योगी आदित्यनाथ ने प्रोजेक्ट को नई डेडलाइन में पूरा करने का आदेश दिया.ये एक्सप्रेसवे गोरखपुर से अंबेडकर नगर,संत कबीरनगर और आजमगढ़ पूर्वाचल एक्सप्रेसवे से कनेक्ट होगा. एक्सप्रेस वे से शुरु होने के बाद 5 यात्रा करने में 5 घंटे कम लगेंगे. ये एक्सप्रेस वे आगरा और लखनऊ एक्सप्रेस वे से भी जुड़ जाएगा.ये दिल्ली – लखनऊ की तरफ से आने वाले मुसाफिरों को गोरखपुर – सिलीगुड़ी ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे से जोड़ेगा. दिल्ली से बंगाल तक की कनेक्टिविटी आसान हो जाएगी और करोड़ों यात्रियों को लाभ मिलेगा.
वाराणसी से भी जुड़ेगा
राज्य सरकार एक्सप्रेसवे को एक अलग रोड से भी जोड़ेगी . उसके लिए योजना तैयार की जा रही है. एक्सप्रेसवे दिल्ली से बंगाल और बनारस तक की कनेक्टिविटी को जोड़कर रखेगा.
172 गांवों की जमीन
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे से चार जिले गोरखपुर ,संतकबीर नगर के 172 गांव प्रभावित हुए है. यहां सरकार ने गांवों की जमीन अधिग्रहित की थी.एक्सप्रेसवे निकलने से गोरखपुर के 88 गांव, संतकबीर नगर के 4 गांव आजमगढ़ के 43 गांव और अंबेडकर नगर के 37 गांव के किसानों से जमीन खरीदी गई है.
एक्सप्रेसवे का मॉडल
एक्सप्रेसवे की लंबाई 91.352 K.M. है. एक्सप्रेसवे के लिए 5876.67 करोड़ रुपए का बजट पास किया है.गोरखपुर के नेशनल हाईवे 27 पर
जैतपुर से शुरु होगा, और आजमगढ़ जिले के सलारपुर/ चैनेज में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे जाकर खतम होगा.उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी है. पूरे प्रोजेक्ट को 2 पैकेज में बांट कर पूरा कर रही है. गोरखपुर एक्सप्रेसवे को चार लेन का बनाया जा रहा है. इस एक्सप्रेस- वे को टोटल एक्सेस कंट्रोल मॉडल पर तैयार किया गया है.
99.5 फीसदी जमीन सरकार की
गोरखपुर एक्सप्रेसवे का काम साल 2020 में 10 फरवरी से शुरु हुआ है.4 जुलाई 2022 तक 99.5% जमीन अधिग्रहित की जा रही है.
इस साल 2022 में तैयार करने की डेडलाइन रखी गई थी.लेकिन कोविड और दूसरी वजह से एक्सप्रेसवे तैयार होने में देरी हो रही है. सरकार ने 2023 की डेडलाइन तय की है.