प्रतीकात्मक तस्वीर.
दिल्ली सरकार को 12 CAG रिपोर्ट को उपराज्यपाल को भेजने और विधानसभा में पेश करने की मांग वाली बीजेपी नेताओं की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. कोर्ट 9 दिसंबर को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा.
मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने कहा कि आबकारी विभाग, वायु प्रदूषण, राजस्व, आर्थिक, सार्वजनिक स्वास्थ्य सहित अन्य रिपोर्ट लंबित है. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि कानूनन सीएजी रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करना होता है लेकिन दिल्ली सरकार ने अभी तक रिपोर्ट को विधानसभा में पेश नही किया है.
8 CAG रिपोर्ट लंबित
मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली सरकार के पास विधानसभा में पेश करने के लिए 8 सीएजी रिपोर्ट लंबित है और कानूनी ढांचे के अनुसार दिल्ली सरकार को ऑडिट रिपोर्ट विधानसभा के समक्ष रखनी होती है. सीएजी की ओर से पेश वकील ने यह भी कहा कि इसके लिए पूर्व सचिव (वित्त) को पत्र लिखकर ऑडिट रिपोर्ट विधानसभा के समक्ष रखने का अनुरोध किया था.
सीएजी और महालेखाकार द्वारा दायर एक संक्षिप्त जवाब में कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से संबंधित भारत के नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक की आठ रिपोर्ट दिल्ली सरकार अधिनियम 1991 की धारा 48 के प्रावधानों के अनुसार विधानसभा के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के पास लंबित है.
भाजपा नेताओं ने दायर की है याचिका
उत्तर देने वाले प्रतिवादी ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 151 (2) के साथ पठित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम 1991 की धारा 48 और विनियमों के अनुसार, जीएससीटीडी को भारत के नियंत्रण और महालेखा परीक्षक द्वारा जीएससीटीडी के खातों पर प्रस्तुत लेखापरीक्षा रिपोर्ट को दिल्ली विधानसभा में रखने का निर्देश दिया गया है. बता दें कि दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता और भारतीय जनता पार्टी के विधायक मोहन सिंह बिष्ट, ओम प्रकाश शर्मा, अजय कुमार महावर, अभय वर्मा, अनिल कुमार बाजपेयी और जितेंद्र महाजन द्वारा यह याचिका दायर की गई है.
याचिका में दावा किया गया है कि 2017-2018 से 2021-2022 तक की 12 सीएजी रिपोर्ट मुख्यमंत्री आतिशी के पास लंबित है, जिनके पास वित्त विभाग भी है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि एलजी के बार-बार अनुरोध के बावजूद ये रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने के लिए उनके पास नही भेजी गई है.
-भारत एक्सप्रेस
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