दिल्ली हाई कोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने अवैध रूप से रक्त व अन्य नमूने एकत्र करने एवं झूठी मेडिकल रिपोर्ट देने वाले पैथोलॉजिकल लैब के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग पर केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) एवं केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जवाब मांगा है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने सभी को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहते हुए सुनवाई 30 अप्रैल के लिए स्थगित कर दी है.
जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि उनमें से कुछ लैब के पास नमूने लेने का लाइसेंस तक नहीं है. कई के पास केवल संग्रह केंद्र हैं, लेकिन कोई प्रयोगशाला नहीं है. याचिकाकर्ता विपुल गोयल ने कथित तौर पर साजिश रचने और अवैध रूप से नमूने एकत्र करने एवं उसका परीक्षण करने के लिए उन पैथोलाजिकल लैब के खिलाफ जांच करने और उचित कार्रवाई करने की मांग की है और उसको लेकर अधिकारियों को निर्देश देने की बात कही है.
उन्होंने कहा कि झूठी मेडिकल रिपोर्ट जारी की जा रही है। इस तरह के लैब लोगों को धोखा दे रहे हैं और इस तरह से 150 करोड़ रुपए से ज्यादा की कमाई कर चुके हैं.
एनएबीएल के वकील ने कहा कि उसने याचिका में उल्लिखित लैब में से एक को दी गई मान्यता पिछले साल वापस ले ली है. याचिका में कहा गया यहै इन लैब के पास उचित प्राधिकारियों से अपेक्षित अनुमति और मान्यता नहीं है, लेकिन इस तरह के लैब ने खुद को एनएबीएल से मान्यता प्राप्त होने का विज्ञापन दिया है, जबकि यह सरासर झूठ है. लैबों ने जनता को गुमराह करके और धोखा देकर 150 करोड़ रुपए से अधिक एकत्र किए हैं.
याचिकाकर्ता ने कहा कि वह इनमें से कुछ लैब में अपनी जांच करवाता था. याचिकाकर्ता ने है कि उसने कार्रवाई के लिए संबंधित अधिकारियों को कई ईमेल और शिकायतें भेजी थी, लेकिन उन पर विचार नहीं किया गया.
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