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बीजेपी IT Cell के चीफ अमित मालवीय के खिलाफ सपा की ओर से किए गए ट्वीट को हाई कोर्ट ने दिया हटाने का आदेश

अमित मालवीय का कहना है कि उन्होंने यह ट्वीट हमले की गंभीर प्रकृति को देखते हुए किया था जो राष्ट्रीय आक्रोश और कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता को दर्शाता है.

Amit Malviya

बीजेपी आईटी सेल चीफ अमित मालवीय.

समाजवादी पार्टी के मीडिया सेल द्वारा एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किए गए ट्वीट को हटाने का दिल्ली हाई कोर्ट ने आदेश दिया है. न्यायमूर्ति विकास महाजन ने यह आदेश दिया है. अमित मालवीय की ओर से पेश वकील ने कहा कि मालवीय एक प्रमुख राजनीतिक दल के आईटी सेल प्रमुख हैं और उन्होंने बड़ी मुश्किल से अपनी प्रतिष्ठा बनाई है. मालवीय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद नायर ने विवादित सामग्री को हटाने के लिए अंतरिम आदेश देने का आग्रह किया.

अखिलेश के ट्वीट पर पूछा था सवाल

यह विवाद पिछले महीने अयोध्या में 12 वर्षीय नाबालिग लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म के बाद पैदा हुआ था. बाद में उसकी मेडिकल जांच में पता चला कि वह गर्भवती थी. बता दें कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 3 अगस्त को ट्वीट किया था कि सभी आरोपियों का डीएनए टेस्ट कराकर न्याय किया जाना चाहिए. उसी दिन मालवीय ने पोस्ट के जवाब में ट्वीट किया कि आरोपियों में से एक समाजवादी पार्टी का नेता है और अखिलेश यादव से सवाल किया कि डीएनए टेस्ट से क्या साबित होगा?

अमित मालवीय का कहना है कि उन्होंने यह ट्वीट हमले की गंभीर प्रकृति को देखते हुए किया था जो राष्ट्रीय आक्रोश और कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता को दर्शाता है. मालवीय की पोस्ट के जवाब में समाजवादी पार्टी के मीडिया सेल ने 3 अगस्त को विवादित ट्वीट पोस्ट किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्य सहित भाजपा के शीर्ष नेताओं ने मालवीय सहित दुष्कर्मियों के साथ तस्वीरें खिंचवाईं. पोस्ट में मालवीय पर यौन दुराचार का भी आरोप लगाया गया था.

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मालवीय ने अपने मुकदमे में कहा है कि विवादित पोस्ट व्यक्तिगत रूप से उन पर हमला करने के इरादे से किया गया था और लगाए गए आरोप अपमानजनक, गंभीर और आपत्तिजनक है. उन्होंने कहा है कि आरोप उनकी गरिमा और प्रतिष्ठा के लिए घातक रूप से हानिकारक हैं, खासकर उनके पेशेवर प्रोफ़ाइल के कारण एक सार्वजनिक व्यक्ति के रूप में उनकी स्थिति को देखते हुए. मुकदमे में कहा गया है कि बयान निंदनीय, मनगढ़ंत और लापरवाह हैं, व्यापक रूप से प्रकाशित, प्रसारित और आम जनता द्वारा पढ़े गए हैं, जिससे वादी की प्रतिष्ठा को काफी नुकसान पहुंचा है.

-भारत एक्सप्रेस

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