सांकेतिक तस्वीर.
देश में अगले साल यानी 2025 में जनगणना शुरू हो सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2025 में शुरू होने वाली इस प्रक्रिया के 2026 तक पूरा होने की योजना है. साल 2011 में अंतिम बार देश में जनगणना हुई थी, ऐसे में इस बार की प्रक्रिया बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जा रही है. आइए जानते हैं अगले साल होने वाली जनगणना का 2029 के लोकसभा चुनाव पर कितना असर पड़ेगा.
2011 में हुई थी अंतिम जनगणना
साल 2011 में जब अंतिम जनगणना हुई थी, तो उस समय देश की जनसंख्या बढ़कर 1.21 अरब (1,21,08,54,977) हो गई थी. पिछले एक दशक में 17.7 फीसद आबादी बढ़ी थी. 2011 की जनगणना के मुताबिक, उस दौरान देश में पुरुषों की आबादी 62 करोड़ से अधिक थी और महिलाओं की जनसंख्या 58 करोड़ से अधिक बताई गई थी.
2021 में होनी थी जनगणना
इससे पहले साल 2021 में देश में नई जनगणना होनी थी, लेकिन कोविड की वजह से ये टल गई, अब 2025 में होने की उम्मीद है. इससे पहले देश के जनगणना आयुक्त और रजिस्ट्रार जनरल मृत्युंजय कुमार नारायण का कार्यकाल भी बढ़ाया गया था, उनका कार्यकाल 2026 तक के लिए किया गया है.
परिसीमन की अटकलें तेज
दरअसल, साल 2002 में अटल बिहारी के नेतृत्व वाली सरकार ने 84वां संशोधन किया था. इसके मुताबिक, उन्होंने परिसीमन को 25 साल के लिए टाल दिया था. इसका मतलब था कि परिसीमन 2031 की जनगणना के बाद किया जाएगा. हालांकि, जनगणना की खबर के सामने आने के बाद परिसीमन की संभावनाओं की अटकलें भी तेज हो गई हैं.
चुनाव पर पड़ सकता है असर
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऐसी संभावना है कि इसके बाद सरकार चुनावी क्षेत्रों के पुनर्निर्धारण के लिए परिसीमन की प्रक्रिया को शुरू कर सकती है. इससे देश में सीटों की संख्या में बढ़ोत्तरी की उम्मीद है. महिला आरक्षण भी लागू हो सकता है. इसका सबसे बड़ा असर साल 2029 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर पड़ सकता है.
बीते दिनों देश में जनगणना के साथ-साथ जातिगत जनगणना के मुद्दे ने भी जोर पकड़ा है. चाहे कांग्रेस हो या राजद या फिर समाजवादी पार्टी, इन दलों ने लगातार चुनावों के बीच जातिगत जनगणना के मुद्दे को भी उठाया है. हालांकि, इसे लेकर अभी तक सरकार की ओर से रुख साफ नहीं किया गया है.
-भारत एक्सप्रेस
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