Bharat Express

वसुधैव कुटुम्बकम पर जोर: आपसी रिश्ते पराए हो जाएं तो शैतान और शैतान के समर्थक बनते हैं इंसान- बोले इंद्रेश कुमार

इंद्रेश कुमार ने कहा कि मानव जाति जब इन बातों को समझती है तब सभ्य समाज बनता है, विकास होता है, शांति और सद्भाव रहता है.

indresh kumar

RSS के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार

वसुधैव कुटुम्बकम पूरी दुनिया एक परिवार को चरितार्थ करते हुए दिल्ली के आंध्रा एसोसिएशन में एक शानदार कार्यक्रम हुआ. इस कार्यक्रम का मकसद देश की एकता, अखंडता और समृद्धि को दर्शाना रहा, जहां संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने राधा कृष्ण के प्यार की शुद्धता पर ज़ोर देते हुए कहा कि आपसी रिश्ते जब पराए हो जाएं तो शैतान और शैतान के समर्थक बनते हैं. वैसा प्यार जिसमें एक इंसान अचानक एक दिन किसी के 36 टुकड़े कर देता है उसे प्यार नहीं, वासना कहते हैं. इंद्रेश कुमार ने कहा कि प्यार के बिना दुनिया एक यूनिट में नहीं बन सकती है.

इस पावन अवसर पर संघ नेता इंद्रेश कुमार ने देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का उल्लेख करते हुए बताया कि सनातन धर्म का मूल संस्कार तथा विचारधारा वसुधैव कुटुम्बकम है, जो महा उपनिषद समेत कई ग्रन्थों में लिपिबद्ध है. इसका अर्थ है- धरती ही परिवार है. संघ नेता ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत में एकता शांति और समृद्धि की संस्कृति हमारी विरासत रही है. इस मौके पर इंद्रेश कुमार ने धर्मांतरण पर भी निशाना साधा और कहा कि हम सब को अपने अपने धर्म पर चलना चाहिए और दूसरे धर्मों, समुदायों की इज्जत करनी चाहिए.

इंद्रेश कुमार ने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम को चरितार्थ करने के लिए यह जानना भी जरूरी है कि सबके माता पिता एक हों. और यह जानना कोई बड़ी बात नहीं है. इंसान किसी भी देश, किसी भी मजहब का हो सब एक ही को मानते हैं… और वह है ऊपर वाला यानी ईश्वर, अल्लाह, परमात्मा, वाहेगुरु, गॉड. और जहां तक सभी की कॉमन माता या मां का मानना है वह है पृथ्वी. जन्म देने वाली मां है यानि नारी की कोख. नारी की कोख, जननी मिली तो हम संसार में आए.

इंद्रेश कुमार ने कहा कि मानव जाति जब इन बातों को समझती है तब सभ्य समाज बनता है, विकास होता है, शांति और सद्भाव रहता है. और जब मानव जाति इन बातों को नहीं समझती है तो असुरक्षा, असमानता, हिंसा, युद्ध को जन्म देती है. संसार पृथ्वी पर ही निर्भर है. संसार में 800 करोड़ लोगों से अधिक लोग जो रहते हैं उनकी कॉमन मदर यानी मां पृथ्वी है. कोई भी मनुष्य अग्नि या आकाश में जीवित नहीं रह सकता. अर्थात सभी की एक माता है अर्थात कॉमन माता है पृथ्वी. अगर हम इस बात को समझ जाएं तो किसी औरत की इज्जत नहीं लूटी जायेगी, व्यभिचार या भ्रष्टाचार, गुंडागर्दी या युद्ध जैसी चीज नहीं होगी.

उन्होंने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम का मतलब ही है अनेकता में एकता, समानता, एकरूपता, एकजुटता, सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास. उदार हृदय से भरपूर हर भारतीयों का मानना है कि सम्पूर्ण धरती ही एक परिवार है. अपनी इसी विशेषता की बदौलत भारत विश्वगुरू था, है, और सदा विश्वगुरु रहेगा.

इंद्रेश कुमार ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था और सामाजिक ताने बाने को दुनिया को समझना होगा. आज भारत में 15 से 20 रुपए में पेट भर के किसी को भी भोजन मिल सकता है जो दूसरे किसी भी देश में संभव नहीं है. भारत ने डॉलर की दादागिरी दूर करने के लिए 20 देशों के साथ भारतीय करंसी में व्यापार की शुरुवात यशस्वी प्रधानमंत्री के नेतृत्व में की गई गई है. इसका प्रसार जल्द ही अन्य देशों तक होगा. वसुधैव कुटुम्बकम… यह वाक्य भारतीय संसद के प्रवेश कक्ष में भी अंकित है. और यह केवल एक वाक्य नहीं है, हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उज्जवल सपना है. प्रधानमंत्री समाज के हर धर्म, हर तबके, हर समुदाय को साथ लेकर चलने में विश्वास रखते रखते हैं. प्रधानमंत्री बारंबार कहते आए आए हैं; सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास.

 

कार्यक्रम में संघ के वरिष्ठ नेता और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच तथा भारतीय क्रिश्चन मंच के मुख्य संरक्षक इंद्रेश कुमार, बीजेपी के वरिष्ठ प्रवक्ता और भारतीय क्रिश्चन मंच के अध्यक्ष टॉम वडककन, कार्यक्रम को दिशा देने वाले प्रताप पल्ला, एन आई आई एल एम विश्विद्यालय के वाइस चांसलर बलराज दांडा, राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के जनरल सेक्रेटरी परवेश खन्ना, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मीडिया प्रभारी शाहिद सईद, कई राज्यों से आए बुद्धिजीवियों समेत अनेकों गणमान्य व्यक्तियों ने शिरकत की. कार्यक्रम की शुरुवात दीप प्रज्ज्वलित कर के की गई.

इस मौके पर आंध्र प्रदेश, असम, केरल, मणिपुर, सिक्किम, हरियाणा के कलाकारों ने जोरदार प्रस्तुति पेश की. आजादी के अमृत महोत्सव पर हुए प्रोग्राम का उद्देश यह बताना भी रहा कि हम सब एक हैं, पूरी पृथ्वी एक परिवार है. रंगारंग कार्यक्रम में अन्य राज्यों की प्रस्तुति भी शानदार रही परंतु हरियाणा का जोशीला फोक डांस और मणिपुर के सिंह नृत्य ने हर किसी को आकर्षित किया.

Also Read