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UP Air Pollution: दिल्ली-NCR के प्रदूषण पर IIT कानपुर कृत्रिम बारिश से करेगा प्रहार, संस्थान ने भेजा प्रस्ताव

कानपुर आईआईटी के सीनियर प्रोफेसर डॉ मनिंदर अग्रवाल ने बताया कि बढ़ते प्रदूषण से राहत पाने के लिए दिल्ली सरकार ने उनसे संपर्क किया है.

कानपुर आईआईटी-फोटो सोशल मीडिया

Kanpur IIT News: दिल्ली-एनसीआर (Delhi NCR) सहित यूपी के कई हिस्सों की हवा लगातार प्रदूषित होती जा रही है. हवा में लगातार बढ़ते प्रदूषण के कारण लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है. इसी बीच कानपुर आईआईटी की ओर से राहत भरी खबर सामने आ रही है. अब दूषित हवा से निपटने के लिए आईआईटी कानपुर की ओर से क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) के माध्यम से कृत्रिम बारिश का उपयोग कर प्रदूषण और धूल के कणों को साफ करने का प्रस्ताव दिया गया है. अगर आईआईटी कानपुर की ओर से ऐसा किया जाता है तो दिल्ली (Delhi) में कृत्रिम बारिश कराकर प्रदूषण को कम किया जा सकता है और लोगों को बड़ी राहत मिल सकती है.

बता दें कि कानपुर आईआईटी की एक टीम पिछले करीब पांच सालों से कृत्रिम बारिश के लिए आवश्यक परिस्थितियां बनाने के लिए काम कर रही है. पिछले साल जुलाई में कानपुर आईआईटी की टीम ने इसका सफल परीक्षण भी किया था, जिसके बारे में खबरें भी सामने आई थी. तो वहीं वर्तमान के वायु प्रदूषण को लेकर खबर सामने आ रही है कि, शोधकर्ताओं द्वारा क्लाउड सीडिंग के लिए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) समेत अन्य सरकारी विभागों से जरूरी अनुमति ले ली गई है. इस सम्बंध में कानपुर आईआईटी के सीनियर प्रोफेसर डॉ मनिंदर अग्रवाल ने मीडिया को जानकारी दी कि, बढ़ते प्रदूषण से राहत पाने के लिए दिल्ली सरकार ने उनसे संपर्क किया है और दिल्ली एनसीआर रीजन में प्रदूषण लेवल को लेकर सीआईआई (कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री) के साथ मिलकर पिछले दो महीने से इसकी प्लानिंग कर रहे हैं. डा. अग्रवाल ने आगे बताया कि, सीआईआई इसे लेकर बहुत एक्टिव है और दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के साथ को-ऑर्डिनेट कर रही है.

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कृत्रिम बारिश से प्रदूषण कम करने का दावा

कृत्रिम बारिश से वायु प्रदूषण को कम करने का उपाय क्या स्थाई है, इस सवाल पर प्रो. मनिंदर ने मीडिया को जानकारी दी कि, “इस कृत्रिम बारिश से वातावरण के डस्ट पार्टिकल बह जाते हैं, लेकिन ये स्थाई नहीं होता अस्थाई होता है.” इसी के साथ ही उन्होंने कहा कि, हमें प्रदूषण के जो सोर्स हैं उन पर एक्शन लेना होगा. इसी के साथ प्रोफेसर ने मीडिया को जानकारी दी कि, दिल्ली-एनसीआर का क्षेत्र बहुत बड़ा है, किस क्षेत्र में बादल होंगे और किस स्थिति में होंगे उसके आधार पर ही तय हो पाएगा कि किस क्षेत्र में बारिश कराई जा सकती है, चूंकि इस प्रक्रिया में एयरक्राफ्ट के साथ ही उसका ईंधन, मेंटिनेंस समेत कई अन्य चीजों पर खर्च होता है तो इसकी लागत भी काफी आती है.

-भारत एक्सप्रेस

 

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