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Maharashtra: महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर, चाचा शरद पवार से बगावत कर शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम बने अजित पवार

एनसीपी नेता अजित पवार ने रविवार को डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली है. इस तरह से वे शिंदे सरकार में शामिल हो गए हैं. 

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर हो गया है. एनसीपी नेता अजित पवार ने रविवार को डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली है. इस तरह से वे शिंदे सरकार में शामिल हो गए हैं. इसके अलावा वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने भी मंत्री पद की शपथ ली है. राजभवन में शपथ ग्रहण समारोह के दौरान मंत्री पद की शपथ लेने वालों में हसन मुश्रीफ,धनंजय मुंडे, अनिल पाटिल और पूर्व मंत्री दिलीप वलसे पाटिल शामिल हैं. वहीं अजित पवार की बगावत से 2024 चुनाव से पहले विपक्षी एकता की कोशिशों को बड़ा झटका लगा है.

खबर है कि एनसीपी के भीतर दो फाड़ होने के बाद पार्टी प्रमुख शरद पवार ने अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं. फिलहाल वे पुणे में हैं. बताया जा रहा है कि जयंत पाटिल से उनकी मुलाकात हुई है जिसके बाद वे मौजूदा घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं.

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एनसीपी के भीतर सबकुछ ठीक नहीं

पिछले कुछ समय से एनसीपी के भीतर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. इसी उठापटक के बीच शरद पवार ने पार्टी प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद दो दिनों तक उनको मनाने का सिलसिला चलता रहा. वहीं खबर ये भी है कि एनसीपी की राज्य इकाई के प्रमुख के रूप में काम करने का मौका नहीं दिए जाने से अजित पवार असंतुष्ट थे. इसको लेकर उन्होंने रविवार को एक मीटिंग बुलाई थी, जिसमें राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल और सुप्रिया सुले भी शामिल हुई थीं. हालांकि, सुले बीच बैठक से उठकर चली गई थीं.

पहले भी बगावत कर डिप्टी सीएम बन चुके हैं अजित पवार

ये पहली बार नहीं है जब अजित पवार ने पार्टी से बगावत की है. इसके पहले, 2019 में बीजेपी-शिवसेना में आई दरार के बाद उद्धव ठाकरे की पार्टी, कांग्रेस और एनसीपी का महा विकास अघाड़ी नामक गठबंधन बना. साथ ही इस गठबंधन के तहत उद्धव ठाकरे को सीएम बनाने पर सहमति बनी. लेकिन ड्रामा अभी खत्म नहीं हुआ था. दूसरी तरफ, अचानक राष्ट्रपति शासन हटाकर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सुबह-सुबह देवेंद्र फडणवीस को सीएम पद की शपथ दिला दी. वहीं अजित पवार ने भी डिप्टी सीएम पद की शपथ लेकर सभी को हैरान कर दिया था.

हालांकि, तब शरद पवार ने मोर्चा संभाला और अपने विधायकों को बीजेपी के खेमे में जाने से रोका. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जहां कोर्ट ने 24 घंटे के भीतर फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया. लेकिन तब देवेंद्र फडणवीस ने इसके पहले ही इस्तीफा दे दिया था.

-भारत एक्सप्रेस



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