RJD में सिरफुटौव्वल के हालात
दिल्ली में राष्ट्रीय जनता दल( RJD) की कार्यकारिणी की बैठक क्या हुई,उसमें सिरफुटौव्वल के हालात पैदा हो गये.इससे एक बात साफ है कि लालू की पार्टी में सब-कुछ ठीक नहीं चल रहा है.आंतरिक मतभेदों की भरमार है.इस बीच बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने व्यक्तिगत मतभेदों को भुलाकर पार्टी के हित में काम करने को कहा है .तेजस्वी ने कहा कि साल 2024 के चुनावों के लिए पार्टी को कमज़ोर ना किया जाए.हमें बीजेपी को हराना है.
श्याम रजक और तेज प्रताप में तू-तू,मैं-मैं
असल में हुआ ये कि बैठक में पार्टी के दलित नेता श्याम रजक और लालू के बेटे तेजप्रताप के बीच तू-तू ,मैं-मैं के हालात पैदा हो गये.तेज प्रताप ने कहा कि पार्टी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(RSS) के लोग घुस आए हैं,इन्हें निकाला जाए.इसके बाद श्याम रजक ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि मैं तो दलित हूं,तेज प्रताप बड़े नेता हैं और वह तो कुछ भी बोल सकते हैं.खबर यहां तक थी कि इस दौरान वह बेहोश हो गये.इसके बाद पार्टी के नेताओं को बारी-बारी से बोलने के खिलाफ चेतावनी देते हुए RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद, जो कि अनुभवी नेता शरद यादव के साथ बैठक में शामिल हुए, ने घोषणा की कि केवल तेजस्वी ही पार्टी की नीति या अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों से संबंधित मामलों पर टिप्पणी करेंगे,उनके अलावा ये हक किसी को हासिल नहीं है.
भड़क उठे तेज प्रताप
बैठक को बीच में ही छोड़कर तेज प्रताप ने संवाददाताओं से कहा, ‘जब उनसे कार्यक्रम के समय के बारे में पूछा गया तो श्याम रजक ने मेरे पीए और मेरी बहन को गालियां दीं. “मैं ऑडियो क्लिप को सार्वजनिक करूंगा और दिखाऊंगा कि कैसे RSS के ऐसे लोगों को संगठन में स्थान दिया गया है. मैं गाली-गलौज नहीं सुनूंगा.” श्याम रजक ने दलित कार्ड खेलाआरोपों का जवाब देते हुए, रजक ने कहा, “मैं एक दलित हूं। मैं केवल सुन सकता हूं, शक्तिशाली लोगों के खिलाफ नहीं बोल सकता.” बाद में, उन्होंने अस्वस्थ होने की सूचना दी और उन्हें एक निजी अस्पताल ले जाया गया.तेज प्रताप के तीखे हमले ने पार्टी के संकट को और बढ़ा दिया है जो पहले से ही पार्टी की बिहार इकाई के अध्यक्ष जगदानंद सिंह कारण पैदा हुआ था.जगदानंद के बेटे सुधाकर सिंह इस महीने की शुरुआत में महागठबंधन सरकार से बाहर निकलने वाले दूसरे कैबिनेट मंत्री बने. उनकी नीतीश से नहीं पटी.
सबसे बड़ी चुनौती RSS
पार्टी कार्यकारिणी की बैठक में BJP और RSS को “देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती बताया गया, जिसकी देश के स्वतंत्रता संग्राम में कोई भूमिका नहीं थी और उसने अपना सारा समय अंग्रेजों के हितों की सेवा करने और उनकी सेवा करने में बिताया. इसका एजेंडा सांप्रदायिक सद्भाव को बाधित करना है और हमें उनके खिलाफ वैचारिक रूप से लड़ने की जरूरत है.RJD के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी में देश की राजनीतिक स्थिति, विदेश नीति और अर्थव्यवस्था पर प्रस्तावों पर भी चर्चा हुई. सोमवार को पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में प्रस्तावों को अपनाया जाएगा, जहां लालू के पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में फिर से चुनाव की औपचारिक घोषणा भी की जाएगी.लेकिन जिस प्रकार कार्यकारिणी की बैठक में नेताओं के बीच मतभेद उजागर हुए उससे लगता है कि सरकार के कामकाज पर इसका बुरा असर पड़ रहा है
-भारत एक्सप्रेस
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