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CAG रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने वाले मामले में सचिवालय ने दिल्ली हाईकोर्ट को दिया जवाब, रिपोर्ट पेश करने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा

सचिवालय ने दिल्ली हाईकोर्ट को सूचित किया है कि फरवरी में विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है, अब कैग (CAG) की रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करने से कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा नहीं होगा.

delhi high court

दिल्ली हाईकोर्ट.

दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता सहित अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली विधानसभा सचिवालय ने दिल्ली हाईकोर्ट को सूचित किया है कि फरवरी में विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है, अब कैग (CAG) की रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करने से कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा नहीं होगा. उसने यह बात CAG रिपोर्ट पेश करने के मुद्दे पर सात भाजपा विधायकों की याचिका के जवाब में कहा है.

हाईकोर्ट को निर्देश देने का अधिकार है

सचिवालय ने कहा कि संविधान के तहत सदन का संरक्षक होने के नाते विधानसभा की बैठक बुलाने का स्पीकर का विवेकाधिकार उसके आंतरिक कामकाज का हिस्सा है. यह किसी भी न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर है. अब विधानमंडल की उत्तराधिकारी लोक लेखा समिति (PAC) कानूनी ढांचे के अनुसार रिपोर्टों की जांच कर सकती है, जिसका चुनाव आगामी चुनावों के बाद अगली विधानसभा करेगा.

वहीं दूसरी ओर उपराज्यपाल ने जवाब दाखिल कर कहा है कि हाईकोर्ट को स्पीकर से तुरंत रिपोर्ट सदन के समक्ष पेश करने का निर्देश देने का अधिकार है. उन्होंने ऑडिट रिपोर्ट पेश करने में असाधारण देरी की ओर इशारा किया और कहा कि दिल्ली के लोग विधानसभा में अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से सीएजी रिपोर्ट तक पहुंच पाने के हकदार हैं.

इसलिए कोर्ट मुख्यमंत्री और दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष को तुरंत एक-दूसरे से परामर्श करने और सदन को फिर से बुलाने के निर्देश जारी करे, जिससे कैग रिपोर्ट विधानसभा के समक्ष रखी जा सके एवं उन्हें इसके सदस्यों के बीच प्रसारित किया जा सके.

PAC द्वारा जांच नए कार्यकाल से पहले नहीं

विधानसभा सचिवालय ने यह भी कहा कि वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल फरवरी, 2025 में समाप्त हो रहा है और विधानसभा का अंतिम सत्र 4 दिसंबर, 2024 को आयोजित किया गया था. इसका अर्थ है कि याचिका में उद्धृत कैग की रिपोर्ट की समीक्षा और जांच PAC द्वारा वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने से पहले नहीं की जा सकेगी.

उक्त रिपोर्ट को इस समय सदन के समक्ष रखा जाता है तो कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा नहीं होगा, क्योंकि इन रिपोटरे की गहन और विस्तृत जांच केवल अगली विधानसभा के निर्वाचित उत्तराधिकारी पीएसी द्वारा की जा सकती है, जिसका गठन चुनावों के बाद किया जाएगा.

कोर्ट ने पहले जारी किया नोटिस

विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता और भाजपा विधायक मोहन सिंह बिष्ट, ओम प्रकाश शर्मा, अजय कुमार महावर, अभय वर्मा, अनिल कुमार बाजपेयी और जितेंद्र महाजन ने गत वर्ष याचिका दाखिल कर कहा था कि एक मामले में पारित आदेश के बावजूद स्पीकर को आगे की कार्रवाई के लिए सीएजी की रिपोर्ट अभी तक नहीं मिली है.

कोर्ट ने 24 दिसंबर को याचिकाकर्ताओं की प्रार्थना पर नोटिस जारी किया था, जिसमें स्पीकर को अपने संवैधानिक दायित्व के निर्वहन के लिए कार्रवाई करने और सदन के समक्ष रिपोर्ट पेश करने के लिए विधानसभा की विशेष बैठक बुलाने का निर्देश देने की मांग की गई थी.


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-भारत एक्सप्रेस



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