राजधानी के थाने भी चला रहे कार्यवाहक थानेदार
उत्तर प्रदेश को पिछले काफी समय से स्थायी डीजीपी नहीं मिल पाया है. सरकार कार्यवाहक डीजीपी से काम चला रही है. अब ऐसा ही हाल राजधानी लखनऊ का है. जहां कई थाने ऐसे हैं जहां सालों से थानेदारों की तैनाती नहीं हुई है और कार्यवाहक के तौर पर इंस्पेक्टरों को जिम्मेदारी सौंपी गई है. बात करें लखनऊ में थानों की तो यहां पर कुल 53 थाने हैं.
इन थानों की जिम्मेदारी संभाल रहे कार्यवाहक थानेदार
वर्तमान में हजरतगंज, मानकनगर, बंथरा, हसनगंज, आलमबाग, महिला थाना, रहीमाबाद, काकोरी, आशियाना और जानकीपुरम में थानेदार नहीं हैं. यहां कार्यवाहक थानेदार के भरोसे थाना चलाया जा रहा है. इसके अलावा आशियाना, रहीमाबाद व जानकीपुरम थाने पर तैनात इंस्पेक्टरों की समयसीमा पूरी हो जाने के बाद इन्हें हटा दिया गया, लेकिन नए थानेदारों की तैनाती नहीं की गई. पिछले महीने काकोरी थाने में तैनात दो सिपाही दुबग्गा इलाके में ड्यूटी करने गए थे. इस दौरान उनसे हादसा हुआ और एक मजदूर की मौत हो गई थी. मामले को दबाने में तत्कालीन काकोरी इंस्पेक्टर विजय कुमार को हटाया गया.
बंथरा के थानेदार विभागीय जांच के बाद हटाए गए, लेकिन नई तैनाती अब तक नहीं हुई. सूत्रों के मुताबिक हसनगंज थानेदार ने उच्चाधिकारी के निर्देश को दरकिनार करने पर हटा दिए गए थे. आलमबाग के थानेदार ने एक मामले में क्रॉस एफआईआर लिखी जिसके बाद उनपर कार्रवाई हुई और थानेदारी छीन ली गई.
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10 थाने कई महीनों से कार्यवाहक के भरोसे
राजधानी के 10 थाने कई महीनों से कार्यवाहक इंस्पेक्टरों के भरोसे चल रहे हैं. उच्चाधिकारियों की बड़ी नाकामी यह है कि जिस थाने का थानेदार हट रहा है, वहां नए की तैनाती नहीं हो पा रही. इसके साथ महिला थाना भी बगैर थानेदार के चलाया जा रहा है. अन्य थानेदारों को एक-एक कर किसी न किसी मामले में कार्रवाई के तहत हटाया गया. दो दिन पहले ही मानकनगर इंस्पेक्टर को भी हटा दिया गया. वह प्रतियोगी छात्र से मारपीट करने वाले सिपाहियों को बचाने में जुटे थे. यहां भी नए थानेदार की तैनाती नहीं हुई है.
पुलिस कमिश्नर का दावा
पुलिस कमिश्नर ने बताया कि कार्यवाहक कोतवाल भी अपने काम को ढंग से कर रहे हैं. थाना इलाके में अपराध पर लगाम लगी है और अपराधियों पर भी शिकंजा कसा जा रहा है. लखनऊ अपराध मुक्त बनाने के लिए जो भी जरूरी कदम हैं उन्हें उठाया जा रहा है.
-भारत एक्सप्रेस
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