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G20 समिट में नहीं आए शी जिनपिंग, अब भारत ने ड्रैगन को दिया तगड़ा झटका, लगाया चीनी स्टील पर 5 सालों के लिए एंटी डंपिंग शुल्क

India Vs China: सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय के फैसले का उद्देश्य स्टील का इस्तेमाल करने वाली कंपनियों को ऊंची कीमतों से बचाना है.

शी जिनपिंग और पीएम नरेंद्र मोदी

शी जिनपिंग और पीएम नरेंद्र मोदी

भारत में आयोजित हुए जी20 शिखर सम्मेलन (G20 Summit 2023) में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग नहीं शामिल हुए थे. इस शिखर सम्मेलन का भारत ने सफलतापूर्वक आयोजन किया, जिसकी पूरी दुनिया ने तारीफ की. वहीं अब भारत ने चीन को झटका देते हुए उससे आयातित स्टील पर 5 सालों के लिए एंटी डंपिंग शुल्क को जारी रखने का फैसला किया है. भारत सरकार की तरफ से इसको लेकर एक सरकारी अधिसूचना जारी की गई है.

चीन की तरफ से जी20 शिखर सम्मेलन में शी जिनपिंग की जगह ली कियांग दिल्ली आए थे. इस सम्मेलन में चीन के अलावा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी नहीं आए थे, जिसके बाद ये अटकलें शुरू हो गई थीं कि दिल्ली घोषणापत्र ब्लॉक न हो जाए. हालांकि पीएम मोदी के कूटनीतिक प्रयासों के कारण भारत न केवल दिल्ली घोषणापत्र पर जी20 देशों की सहमति बनवाने में कामयाब रहा, बल्कि अफ्रीकन यूनियन के रूप में जी20 को एक और स्थायी सदस्य भी मिल गया. इसके अलावा भारत-मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक कॉरिडोर के ऐलान के साथ ही भारत ने चीन को तगड़ा झटका दिया है.

जारी रहेगी एंटी डंपिंग ड्यूटी

इन सबके बीच, भारत ने चीन से आयातित फ्लैट बेस स्टील व्हील पर प्रति टन 613 डॉलर की एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाने का फैसला किया है. भारत ने स्टील व्हील पर एंटी डंपिंग ड्यूटी 2018 में लगाई थी. वहीं अब एक बार फिर ने इसे अगले 5 सालों के लिए जारी रखने का फैसला कर ड्रैगन को झटका दिया है.

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इस संबंध में इस्पात सचिव का बयान आया है. इस्पात सचिव नागेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार चीन से आयातित स्टील पर नजरें बनाए हुए है. भारत सबसे ज्यादा स्टील साउथ कोरिया से खरीदता है, इसके बाद चीन का नंबर आता है. हालांकि पिछले कुछ सालों में चीन से खरीदे जाने वाले स्टील में कमी आई है. इसके पहले, कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया था कि चीन से आयातित चुनिंदा स्टील उत्पादों पर भारत काउंडरवेलिंग ड्यूटी नहीं लगाएगा.

सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय के फैसले का उद्देश्य स्टील का इस्तेमाल करने वाली कंपनियों को ऊंची कीमतों से बचाना है. जबकि सरकार के इस कदम से चीन के स्थानीय स्टील निर्माताओं को नुकसान हो सकता है.

-भारत एक्सप्रेस

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