Human-Rights-Report
भारत ने अमेरिकी विदेश विभाग की एक हालिया रिपोर्ट की कड़ी आलोचना की है, जिसमें पिछले साल हिंसा के बाद मणिपुर में “महत्वपूर्ण मानवाधिकारों के उल्लंघन” पर प्रकाश डाला गया था. भारत सरकार ने इस दस्तावेज को बेहद पक्षपातपूर्ण और देश की खराब समझ को प्रतिबिंबित करने वाला बताकर खारिज कर दिया.
केंद्रीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह रिपोर्ट बेहद पक्षपातपूर्ण है और यह भारत के प्रति उनकी खराब समझ को प्रदर्शित करता है. हम इसे कोई महत्व नहीं देते और आपसे भी ऐसा ही करने का अनुरोध करते हैं”.
मणिपुर की घटनाओं का जिक्र
अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा जारी ‘2023 कंट्री रिपोर्ट्स ऑन ह्यूमन राइट्स प्रैक्टिसेज: इंडिया’ में मणिपुर में मेईतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष पर प्रकाश डाला गया और इसे “महत्वपूर्ण मानवाधिकारों का हनन” बताया गया है.
रिपोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घटना की निंदा करने और मामले पर कार्रवाई के आह्वान का भी उल्लेख किया गया है.
बीबीसी के कार्यालयों की सर्वे का उल्लेख
इसके अलावा रिपोर्ट में पिछले साल बीबीसी के दिल्ली और मुंबई कार्यालयों की 60 घंटे की इनकम टैक्स “सर्वे” पर भी प्रकाश डाला गया, जिसमें कहा गया कि यह सर्वे ब्रॉडकास्टर द्वारा पीएम मोदी पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म को चलाने के तुरंत बाद हुआ था.
रिपोर्ट में ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (BBC) के कार्यालय पर इनकम टैक्स विभाग द्वारा किए गए सर्वे का भी जिक्र किया गया है. इनकम टैक्स अधिकारियों की जांच अनियमितताओं से प्रेरित थी. वहीं अधिकारियों ने संगठन की वित्तीय प्रक्रियाओं में शामिल नहीं होने वाले पत्रकारों के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस भी जब्त कर लिए थे.
रिपोर्ट में मोदी उपनाम और राहुल गांधी का भी जिक्र
रिपोर्ट में मोदी उपनाम को बदनाम करने से संबंधित एक मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की दोषसिद्धि और सजा का भी हवाला दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया. हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगा दी गई थी.
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