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Tawang Clash: तवांग में भारतीय सेना ने ड्रैगन के नापाक मंसूबों को किया नाकाम, चीनी PLA को पीटकर भगाया

Tawang Clash: ये झड़प ऐसे समय हुई है जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है और दूसरी तरफ, हाल ही में नैंसी पेलोसी ने चीन की धमकियों के बावजूद ताइवान का दौरा किया था.

Tawang clash

वायरल वीडियो (फोटो- Screen grab)

Tawang Clash: भारतीय सेना और चीनी पीएलए के सैनिकों के बीच गलवान में हुई हिंसक झड़प के 2 साल बाद, 8-9 दिसंबर को चीन की पीएलए फिर से पूर्व में ऊंचाइयों पर स्थित महत्वपूर्ण पोस्ट पर कब्जा करने के मंसूबों के साथ पूरी तैयारी के साथ आई, लेकिन उनके मंसूबों को भारतीय सैनिकों ने नाकाम कर दिया. चीनी पीएलए और भारतीय सेना के जवानों के बीच अरुणाचल प्रदेश के यांगत्से सेक्टर में उस समय झड़प हुईं, जब हथियारों से लैस पीएलए के सैनिकों ने पर्वतीय चौकियों पर कब्जा करने की कोशिश की.

भारतीय सेना पहले से ही खुफिया इनपुट के बाद हाई अलर्ट पर थी. रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय सेना ने चीनी पीएलए को रोकते हुए उन्हें वापस उनकी पोस्ट तक खदेड़ दिया, इस दौरान हुई झड़प में चीनी पीएलए के कई जवान घायल हुए हैं. तवांग सेक्टर के यांगत्से में भारतीय सेना की जम्मू एंड कश्मीर राइफल्स, जाट रेजिमेंट्स और सिख लाइट इन्फेंट्री के जवानों ने चीनी सैनिकों को खदेड़ दिया. मारपीट कर भगाए जाने से बौखलाए चीनी सैनिकों ने हताशा में गोलियां भी चलाईं.

गृह मंत्री और रक्षा मंत्री ने सेना के जवानों की सतर्कता और बहादुरी की जमकर तारीफ की है. राजनाथ सिंह ने संसद में इस मामले पर बयान देते हुए कहा कि कोई भी भारतीय सैनिक गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ है, झड़प के बाद फ्लैग मीटिंग करने के लिए कमांडरों की त्वरित प्रतिक्रिया की प्रशंसा की. वहीं, इस घटना के बाद अमेरिका भी हालात पर नजरें बनाए हुए है.

मुख्य चिंता है कि 2017 में डोकलाम और 2020 में लद्दाख के बाद, अब चीन अरुणाचल प्रदेश और तवांग पर अपने दावों के प्रति अपनी मंशा दिखा रहा है. चीन अरुणाचल को दक्षिण तिब्बत के रूप में संदर्भित करता है और तवांग पिछले दलाई लामाओं का जन्मस्थान होने के नाते महत्वपूर्ण है.अरुणाचल में 15 जगहों को चीनी मंदारिन भाषा में नाम दिया गया है.

तवांग को वन चाइना पॉलिसी का हिस्सा मानता है चीन

चीन ताइवान और तवांग को अपनी वन चाइना पॉलिसी का हिस्सा मानता है. गलवान की हिंसक झड़प और लद्दाख में कैलाश की चोटियों पर भारतीय सेना के कब्जे से सीख लेने के बाद, रणनीतिकारों को लगता है कि यह सीमा संघर्ष चीनियों द्वारा सर्दियों के दौरान यांगत्से में ऊंचाइयों पर कब्जा करने की कोशिश थी, ताकि भारत के पास अगले साल उस क्षेत्र में चीनी दावे को स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प न बचे. अपने हिस्से में चीन ने अपने लॉजिस्टिक बेस के ठीक पीछे एक बड़ा सीमावर्ती गांव बसा लिया है.

ये झड़प ऐसे समय हुई है जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है और दूसरी तरफ, हाल ही में नैंसी पेलोसी ने चीन की धमकियों के बावजूद ताइवान का दौरा किया था. इस दौरे के बाद चीन ने ताइवान के चारों तरफ भारी संख्या में सैन्य जमावड़ा लगा दिया था. इसलिए, यह संभव है कि तवांग की ओर किसी बड़े आक्रमण की कोशिश करने से पहले चीन भारतीय सेना के सैनिकों के मनोबल को टेस्ट कर रहा हो. बता दें कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हाल ही में अक्टूबर 2022 में CCP के भीतर सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है. इस दौरान दुनिया ने देखा कि किस तरह पूर्व राष्ट्रपति हू जिंताओ को समापन समारोह के बीच से कैसा बाहर कर दिया गया था.

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हाल ही में चीन के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन और हिंसक झड़पों के बाद, अरुणाचल में आक्रामकता चीन के भीतर शी जिनपिंग के खिलाफ दबाव और गुस्से को कम करने का एक विकल्प हो सकता है. सीडीएस जनरल अनिल चौहान और सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडेय पूरे मामले पर रक्षा मंत्री को ब्रीफ कर रहे हैं, जबकि भारतीय सशस्त्र बल हाई अलर्ट पर हैं. एनएसए अजित डोभाल हालात पर नजदीकी नजर बनाए हुए हैं. भारत एक्सप्रेस से बात करते हुए रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल विष्णु चतुर्वेदी ने सेना के जवानों के प्रोफेशनलिज्म और आक्रामक भावना में पूरा भरोसा जताया. उन्होंने कहा, “हमारे पास सबसे अच्छे सैनिक, जूनियर और सीनियर लीडरशिप हैं, एक ऐसे पड़ोसी के खिलाफ जो विस्तार करने की नीति में यकीन रखता है. लेकिन एक बहुत ही परिपक्व प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हमारी उच्च रणनीति देशहित में कड़े फैसले लेने से नहीं हिचकेगी.”

-भारत एक्सप्रेस

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