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विभाजन के दर्द के बीच 22 सिख महिलाओं की कहानी

गुरसिखों के 13-14 परिवार गाँव के गुरुद्वारे में एकत्र हुए और फैसला लिया गया कि वे हमलवारों का बहादुरी के साथ सामना करेंगे.

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प्रतीकात्मक तस्वीर

1947 में भारतीय उपमहाद्वीप का दो भागों- भारत और मुस्लिम बहुल पाकिस्तान के रूप में बंटवारा हो गया था. इस प्रकार इतिहास में ऐसा शायद पहली बार हुआ जब बड़ी संख्या में मुसलमान पश्चिम और पूर्वी पाकिस्तान गए, जबकि लाखों हिंदू और सिख उधर से इधर आए. 

खालसा वोक्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह अविश्वसनीय लगता है कि वर्षों और सदियों से साथ-साथ रहने वाले समुदायों ने एक-दूसरे पर सांप्रदायिक हिंसा की भयानक लहर में हमला किया. यह एक नरसंहार था…जो अमानवीय था. 

पंजाब और बंगाल की सीमाओं पर नरसंहार भयानक था- जबरन धर्मांतरण, आगजनी, यौन अत्याचार और निर्मम हत्याएं. रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा विशेष रूप से भीषण थी क्योंकि लगभग पचहत्तर हजार महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था और कई को ऐसी यातनाएं दी गई थीं जो भयावह था.

खालसा वोक्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसी ही एक त्रासदी में 22 महिलाएं शामिल थीं. कुछ विपदाएं इतनी दुखद होती हैं कि उनका सामना करना ही पड़ता है. 8 मार्च 1947 की सुबह, कहुता (रावलपिंडी) के पास ऐसी ही घटना हुई थी. नरराही एक छोटा सा अलग-थलग गाँव था (अब पश्चिम पाकिस्तान पंजाब, पाकिस्तान में) जो मुख्य रूप से खत्री और सहजधारी सिखों द्वारा बसाया गया था और वे आसपास के कुछ मुस्लिम परिवारों के साथ शांति और सौहार्दपूर्ण ढंग से रहते थे.

गुरसिखों के 13-14 परिवार गाँव के गुरुद्वारे में एकत्र हुए और फैसला लिया गया कि वे हमलावरों का बहादुरी के साथ सामना करेंगे. खालसा वोक्स के मुताबिक, उनके ‘कृपाण’ के अलावा कोई हथियार नहीं था.

मुसलमानों की मांगों को स्वीकार करने का सवाल ही नहीं था, इसलिए यह पारस्परिक रूप से तय किया गया था कि हमलावरों के आने से पहले सभी महिलाओं (उनमें से 22 विवाहित और अविवाहित) को उनके पति या पिता द्वारा बलिदान कर दिया जाएगा. तब पुरुष अपनी आखिरी सांस तक लड़ेंगे लेकिन अपना धर्म कभी नहीं बदलेंगे.

इस तरह 8 मार्च, 1947 की सुबह गुरबाणी के पाठ के बीच 22 वीरांगनाओं को बलिदान कर दिया गया. इसमें शामिल सभी लोगों के लिए यह भयावह रहा होगा. अपने रिश्तेदारों, अपने प्रियजनों को मारने के लिए जिस तरह के साहस और सहनशीलता की आवश्यकता होती है, वह समझ से परे है. फिर भी ऐसा किया गया.

-भारत एक्सप्रेस



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