दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता और अन्य बीजेपी विधायकों की ओर से दायर नई याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट 24 दिसंबर को सुनवाई करेगा. याचिका में दिल्ली के मुख्यमंत्री आतिशी को कैग की 14 रिपोर्ट को जल्द से जल्द विधानसभा स्पीकर के पास भेजने के निर्देश देने की मांग की गई है. इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार की ओर से दाखिल जवाब के बाद याचिका का निपटारा कर दिया था. पिछली सुनवाई के दौरान उपराज्यपाल की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि एक्साइज ड्यूटी, प्रदूषण और वित्त से संबंधित सीएजी रिपोर्ट को मंजूरी दे दी गई है और उन्होंने विधानसभा की तत्काल विशेष बैठक बुलाने को कहा है.
एलजी की ओर से दायर हलफनामे में यह भी कहा गया था कि वित्त मंत्री (दिल्ली के मुख्यमंत्री) ने मामले में गैरवाजिब देरी की जिससे विधानसभा और आम जनता को सरकार के कार्यकारी कामों की जांच करने के उनके अधिकार से वंचित कर दिया गया. हलफनामे के मुताबिक आगे कोई देरी न हो इसके लिए एलजी ने अपने ऑफिस में आई कैग रिपोर्ट से संबंधित फाइलों को तुरंत और जल्द 13 दिसंबर 2024 को ही दिल्ली एनसीटी सरकार अधिनियम 1991 की धारा 48 के तहत अपनी मंजूरी दे दी, ताकि इन सभी 14 फाइलों को मौजूदा सत्र में दिल्ली विधानसभा के समक्ष रखने के लिए जरूरी कदम उठाए जा सके.
पिछले हफ्ते दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने याचिका का निपटारा कर दिया था. मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया था कि उसने सभी 14 सीएजी रिपोर्ट उप राज्यपाल को भेजवा दी थी. जिन्होंने उन्हें मंजूर करने के बाद दिल्ली सरकार को वापस कर दिया है. अब दिल्ली सरकार उन रिपोर्ट्स को विधानसभा अध्यक्ष के सामने रखेगी जो तत्काल उस पर विचार कर सत्र बुलाने को लेकर फैसला लेंगे.
आज तक कोई कार्रवाई नहीं
दाखिल याचिका में दिल्ली सरकार को शराब शुल्क, प्रदूषण और वित्त संबंधी कैग की 12 रिपोर्ट उपराज्यपाल को भेजने के निर्देश देने की मांग की गई थी, ताकि रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखा जा सके. याचिका में दावा किया गया था कि 2017-2018 से 2021-2022 तक कि कैग रिपोर्ट मुख्यमंत्री आतिशी के पास लंबित है. उपराज्यपाल के बार-बार अनुरोध करने के बावजूद दस्तावेज विधानसभा में पेश करने के लिए उनके पास नहीं भेजे गए हैं, आतिशी के पास वित्त विभाग भी है. वकीलों नीरज और सत्य रंजन स्वैन द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि पूर्व में भाजपा विधायकों ने इस संबंध में मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और विधानसभा अध्यक्ष से संपर्क किया था, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई.
याचिका में कहा गया था कि जानकारी को जानबूझकर दबाना न केवल लोकतांत्रिक सिद्धांतो का उल्लंघन है बल्कि सरकारी कार्रवाई और व्यय की उचित जांच को भी रोकता है, जिससे सरकार के वित्तीय स्वामित्व, पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल उठते है. इस साल 30 अगस्त को याचिकाकर्ता विजेंद्र गुप्ता ने राष्ट्रपति को कम्युनिकेशन भेजकर उनसे रिपोर्टों के दमन पर तत्काल ध्यान देने का अनुरोध किया था, यह कहते हुए कि सीएजी संवैधानिक तंत्र का उल्लंघन कर रहा है.
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-भारत एक्सप्रेस
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